द्विदल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उत्तर » द्विदल आप समझते हैं , द्विदल के साथ दही का निषेध् हैं , बागवटजी ने भी कहा हैं , महावीर स्वामी ने भी कहा हैं , गौतम रुषी , सबने कहा है , द्विदल के साथ दही का निषेध् है ।
- उत्तर » द्विदल आप समझते हैं , द्विदल के साथ दही का निषेध् हैं , बागवटजी ने भी कहा हैं , महावीर स्वामी ने भी कहा हैं , गौतम रुषी , सबने कहा है , द्विदल के साथ दही का निषेध् है ।
- चढ़ षष्ठ दिवस आज्ञा पर हुआ समासित मन , प्रतिजप से खिंच-खिंच होने लगा महाकर्षण , संचित त्रिकुटी पर ध्यान द्विदल देवी-पद पर , जप के स्वर लगा काँपने थर-थर-थर अम्बर ; दो दिन नि : स्पन्द एक आसन पर रहे राम , अर्पित करते इन्दीवर जपते हुए नाम।
- ये द्विदल अन्नों जैसे- चना , मटर , मूंग , अरहर , तिल , सोयाबीन आदि और मांस , मछली , अंडे में ज्यादा और दूसरे खाने वाले पदार्थ जैसे- साग-सब्जी , फल , मेवा , दूध की चीजें और गेहूं , चावल आदि में कम मात्रा में होता है।
- तो द्विदल के साथ दही कैसा ? तो उसके लिए बागवटजी कहते हैं की , कभीभी द्विदल के साथ दही खायें , तो अच्छा है ना खायेंऋ लेकिन खा रहें है तो दो बातों का ध्यान रखिये की दही की तासीर बदले और उसकी तासीर को बदलकर दाल की जैसी तासीर हो , वैसी तासीर करें ।
- तो द्विदल के साथ दही कैसा ? तो उसके लिए बागवटजी कहते हैं की , कभीभी द्विदल के साथ दही खायें , तो अच्छा है ना खायेंऋ लेकिन खा रहें है तो दो बातों का ध्यान रखिये की दही की तासीर बदले और उसकी तासीर को बदलकर दाल की जैसी तासीर हो , वैसी तासीर करें ।
- नवरात्र हो ' शैल ' पर ' शेफाली ' के पुष्प हों , प्रात की ' रश्मि ' याँ हों - कोई राम ऐसे में ध्यान लगाये तो ' संचित त्रिकुटी पर ध्यान द्विदल देवी पद पर जप के स्वर लगा काँपने अम्बर थर थर थर ' सधेगा क्या ? वसंत में शरद का संक्रमण हो गा क्या ?
- हिन्दुओं में पूजा पाठ उत्सव आदि पर मस्तक पर जो तिलक लगाया जाता है , वह इसलिए कि ललाट में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है योग के अनुसार मस्तक के उस भाग में द्विदल कमल होता है और अनामिका द्वारा उस स्थान के स्पर्श से मस्तिष्क की अदृश्य शक्ति जागृत हो जाती हैं,व्यक्तित्व तेजोमय हो जाता है) ************************* 5.
- हिन्दुओं में पूजा पाठ उत्सव आदि पर मस्तक पर जो तिलक लगाया जाता है , वह इसलिए कि ललाट में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है योग के अनुसार मस्तक के उस भाग में द्विदल कमल होता है और अनामिका द्वारा उस स्थान के स्पर्श से मस्तिष्क की अदृश्य शक्ति जागृत हो जाती हैं , व्यक्तित्व तेजोमय हो जाता है )