नख़लिस्तान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- फिर यह समरक़न्द की प्रसिद्ध नगरी के पास से निकलती है , जो पूरी तरह इस नदी द्वारा बनाए गए नख़लिस्तान (ओएसिस) पर निर्भर है (बिना इस नदी के यह एक मरूभूमी होता)।
- यारकन्द तारिम द्रोणी और टकलामकान रेगिस्तान के दक्षिणी छोर पर स्थित एक नख़लिस्तान ( ओएसिस) क्षेत्र है जो अपना जल कुनलुन पर्वतों से उत्तर की ओर उतरने वाली यारकन्द नदी से प्राप्त करता है।
- हिजाज़ के पहाड़ पूर्व में ढलान रखते हैं जहाँ से कभी-कभार गिरने वाली बारिश बहकर आसपास की कुछ वादियों में चश्में और कुँए में पानी भरकर वहाँ पर नख़लिस्तान ( ओएसिस) बना देती है।
- भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान , शाद्वल, मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान, किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं.
- [ 3] इसका पूर्वी भाग, जिसे अल-यमामा कहते हैं, अपने अन्दर बहुत से नख़लिस्तान (ओएसिस) समेटे हुए हैं जहाँ खेती और व्यापार चलता है, जबकि पश्चिमी भाग में अधिक शुष्की है और वहाँ ख़ानाबदोश बदुइन लोग रहते हैं।
- आर्नो की तरफ़ देखें और धीमे जल प्रवाह को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाएं उसके आगे एक आकर्षक और रोमानी जगह आती है पेलाज़ो पिटी अपने प्रसिद्ध बोडोली उद्यान , शहर के बीचों-बीच एक हरे नख़लिस्तान के साथ।
- आर्नो की तरफ़ देखें और धीमे जल प्रवाह को देख कर मंत्रमुग्ध हो जाएं उसके आगे एक आकर्षक और रोमानी जगह आती है पेलाज़ो पिटी अपने प्रसिद्ध बोडोली उद्यान , शहर के बीचों-बीच एक हरे नख़लिस्तान के साथ।
- भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान , शाद्वल , मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान , किसी मरूस्थल में किसी झरने, चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं.
- भौगोलिक संदर्भों में मरूद्यान , शाद्वल , मरूद्वीप अथवा नख़लिस्तान , किसी मरूस्थल में किसी झरने , चश्मा या जल-स्रोत के आसपास स्थित एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां किसी वनस्पति के उगने के लिए पर्याप्त अनुकूल परिस्थितियां उपलब्ध होती हैं .
- हिन्दी-उर्दू की प्रमुख पत्रिकाओं हंस , कथन, काव्या, मधुमति, शेष, अभिव्यक्ति, समग्र दृष्टि, कथाबिंब, नई ग़ज़ल, सम्बोधन, अक्षर शिल्पी, गति, शबखून, शायर, नख़लिस्तान, तवाजुन, इन्तसाब जदीद फिक्रो-फन, परवाजे अदब, ऐवाने उर्दू, पेशरफ्त, असबाक़ आदि में उन की रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं और होती रहती हैं।