नाथ पंथ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मछेन्द्रनाथ ने गोरखनाथ से कहाः “ तुम चौरंगी को नाथ पंथ की दीक्षा दो और सर्व विद्याओं में इसे पारंगत करके इसके द्वारा राजा को योग सामर्थ्य दिखाकर रानी को दंड दिलवाओ। ”
- उनकी साधना पद्धति का संयम एवं सदाचार से सम्बन्धित व्यावहारिक स्वरूप जन-जन मे ंइतना लोकप्रिय हो गया था कि विभिन्न धर्मावलम्बियों , मतावलम्बियों ने अपने धर्म एवं मत को लोकप्रिय बनाने के लिए नाथ पंथ की साधना का मनचाहा प्रयोग किया।
- नाथ पंथ में महान योगी हुए हैं ! और गोरख नाथ जी जितने हठ योग और सिद्धियों में पारंगत सिद्ध थे ! उतने ही उनकी वाणी ने मानवता को जीने का एक सहज तरीका बताया ! नीचे उनकी दो लाइने उनकी वाणी से देखिये ! “गोरख कहैं सुणहुरे अवधू , जग में ऐसे रहणा ! आँखें देखिबा कानें सुणिबा मुख थैं कछु ना कहणा !!