नित्यत्व का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस मत के अनुसार आकाश से लेकर दीपक पर्यंत समस्त पदार्थ नित्यत्व और अनित्यत्व आदि उभय धर्म युक्त है।
- हिंदू लोग पवित्रता , नित्यत्व , सर्वव्यापित्व आदि आदि भावों का संबंध विभिन्न मूर्तियों और रूपों से जोड़ते हैं ?
- हिंदू लोग पवित्रता , नित्यत्व , सर्वव्यापित्व आदि आदि भावों का संबंध विभिन्न मूर्तियों और रूपों से जोड़ते हैं ?
- अर्थात वेद इतिहास को अनित्य नहीं मानता , किंतु इतिहास के नित्यत्व का प्रतिपादन करता है, इसका विस्तृत विवेचन मीमांसा के “शाबरभाष्य” में दृष्टव्य है।
- अर्थात वेद इतिहास को अनित्य नहीं मानता , किंतु इतिहास के नित्यत्व का प्रतिपादन करता है, इसका विस्तृत विवेचन मीमांसा के “शाबरभाष्य” में दृष्टव्य है।
- अर्थात वेद इतिहास को अनित्य नहीं मानता , किंतु इतिहास के नित्यत्व का प्रतिपादन करता है , इसका विस्तृत विवेचन मीमांसा के “ शाबरभाष्य ” में दृष्टव्य है।
- स्याद्वाद का अर्थ है अनेकांतवाद अर्थात् एक ही पदार्थ में नित्यत्व और अनित्यत्व , सादृश्य और विरुपत्व , सत्व और असत्व , अभिलाष्यत्व और अनभिलाष्यत्व आदि परस्पर भिन्न धर्मों का सापेक्ष स्वीकार ।
- अंतत मेक्स मूलर ने भी हमारे वेदों की नित्यत्व के विचार की पुष्टि कर ही दी जब उन्होंने यह कहाँ की “ हम वेद के काल की कोई अंतिम सीमा निर्धारित कर सकने की आशा नहीं कर सकते .
- वैसे प्राचीन नैयायिकों और वैशेषिकों की दृष्टि में भी नित्यत्व का आशय यहाँ पर यह है कि कार्य को उत्पन्न किये बिना सन इसे उत्पन्न किया जा सकता है और न कार्य को नष्ट किये बिना इसे नष्ट किया जा सकता है।
- भाव यह कि जगदरूप विवर्त के अधिष्ठान ब्रह्म के बोधन में सर्परूप विवर्त के अधिष्ठान का बोधक रज्जुदृष्टान्त अधिष्ठान का विवर्त होता है , केवल इसी एक अंश में दिया जाता है , दार्ष्टान्तिक ब्रह्म में रहने वाले नित्यत्व , सुखित्व आदि सम्पूर्ण अंशों में नहीं।।