पंचाक्षरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्राचीन शिव पंचाक्षरी मंत्र इस प्रकार है - नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय भास्मंगारागाय महेश्वराय नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ' न'काराय नमः शिवाय ।।1।।
- अधिक न बने , तो गायत्री चालीसा पाठ एवं पंचाक्षरी मन्त्र 'ॐ र्भूभुवः स्वः' का जप ही कर लिया करे ।
- नभ , महि , शिखी , वायु , और ( यमुना ) जल = नमः शिवाय ( पंचाक्षरी मंत् र. ..
- इसमें यदि ऊँ न प्रयुक्त किया जाये एवं केवल नमः शिवाय उच्चारित किया जाये तो यह पंचाक्षरी मंत्र बन जाता है।
- इस पंचाक्षरी मंत्र से ही सम्पूर्ण वेद प्रकट हुआ और स्वयं को भी वेद में प्रकट कर दिया इस ‘पञ्चाक्षरी विद्या ' ने।
- श्री बगला के एकाक्षरी , त्रयाक्षरी , चतुराक्षरी , पंचाक्षरी , अष्टाक्षरी , नवाक्षरी , एकादशाक्षरी और षट्त्रिंशदाक्षरी मंत्र विशेष सिद्धिदायक हैं।
- श्री बगला के एकाक्षरी , त्रयाक्षरी , चतुराक्षरी , पंचाक्षरी , अष्टाक्षरी , नवाक्षरी , एकादशाक्षरी और षट्त्रिंशदाक्षरी मंत्र विशेष सिद्धिदायक हैं।
- इसमें आरम्भ में मत्सर नामक असुर के जन्म की कथा है जिसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से शिव पंचाक्षरी मन्त्र की दीक्षा ली।
- बुरे सपने के प्रभाव को दूर करने में शिव पंचाक्षरी मंत्र नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जप भी लाभप्रद होता है।
- इसमें आरम्भ में मत्सर नामक असुर के जन्म की कथा है जिसने दैत्य गुरु शुक्राचार्य से शिव पंचाक्षरी मन्त्र की दीक्षा ली।