पद रज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अर्थात् वही गुरु पद रज शिव जी के शरीर पर लिपटी विभूति के समान है जो सुन्दर , कल्याणकारी और आनन्द देने वाली है और अपने भक्त के मन रूपी दर्पण पर आयी मलिनता को दूर करती है तथा इससे तिलक कर लेने पर वह गुणों के समूह को वश में करने वाली है।