पर्वत राज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसका अर्थ गलत दिया गया है - बड़े काम ओछो करै , तो न बड़ाई होय अर्थार्त बड़े लोग अगर छोटे काम करेंगे तो बड़ाई नहीं होगी| ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय अर्थार्त जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर' नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृषण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर' पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|
- विशेष रूप से विशालकाय छत्त पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ते हुए इंटरलाकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है , जो मंदिर को मजबूती देने के लिए नदी के बीचों बीच खड़े करने में सफल हुई हैं पुराण कथा अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महा-तपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे , जिनकी अराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने प्रकट होकर उनकी प्रार्थना ज्योतिलिंग के रूप में सदावास करने का वर प्रदान किया , जो केदारनाथ पर्वत राज हिमालय के केदार नाथ श्रृंग पर अवस्थित है।