पातगोभी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पातगोभी की पौध रोपाई किस प्रकार करनी चाहिए ? पातगोभी की रोपाई मौसम एवं प्रजातियों के अनुसार की जाती हैI अगेती प्रजातियों की रोपाई पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति दोनों की ही दूरी 45 सेंटीमीटर रखी जाती हैI पिछेती प्रजातियों की रोपाई पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति दोनों की ही दूरी 60 सेंटीमीटर रखी जाती हैI
- पातगोभी की पौध रोपाई किस प्रकार करनी चाहिए ? पातगोभी की रोपाई मौसम एवं प्रजातियों के अनुसार की जाती हैI अगेती प्रजातियों की रोपाई पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति दोनों की ही दूरी 45 सेंटीमीटर रखी जाती हैI पिछेती प्रजातियों की रोपाई पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति दोनों की ही दूरी 60 सेंटीमीटर रखी जाती हैI
- पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है इसके साथ-साथ इसमे लोहा , कैल्शियम , मैग्नीशियम एवं सोडियम लवण भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैI पातगोभी में विशिष्ट स्वाद सिमीग्रीन नामक ग्लुकोसाइट की उपस्थित के कारण होता है इसकी खेती उड़ीसा , पश्चिम बंगाल , बिहार कर्नाटक , महाराष्ट्र , गुजरात , पंजाब उतार प्रदेश के अधिक भागो में की जाती हैI
- पातगोभी के लिए खेतो की तैयारी हम किस प्रकार से करे ? खेत की पहली जुटाई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए इसके बाद तीन चार जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके एवं पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा बना लेना चाहिएI पानी के निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए जिससे ज्यादा पानी लग जाने पर निकाला जा सकेI
- पातगोभी की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनकी रोकथाम हैम किस प्रकार करे ? पातगोभी की फसल में मुख्य रूप से मांहू एफिड्स लगते है इसके नियंत्रण के लिए रसायनो का प्रयोग करे जैसे की डायमिथोएट 30 ई.स ी . या मिथायल आक्सीडेमेटान 25 ई.स ी . की एक लीटर मात्रा पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिएI
- पातगोभी की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनकी रोकथाम हैम किस प्रकार करे ? पातगोभी की फसल में मुख्य रूप से मांहू एफिड्स लगते है इसके नियंत्रण के लिए रसायनो का प्रयोग करे जैसे की डायमिथोएट 30 ई.स ी . या मिथायल आक्सीडेमेटान 25 ई.स ी . की एक लीटर मात्रा पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिएI
- पातगोभी की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है और उनकी रोकथाम हैम किस प्रकार करे ? पातगोभी की फसल में मुख्य रूप से मांहू एफिड्स लगते है इसके नियंत्रण के लिए रसायनो का प्रयोग करे जैसे की डायमिथोएट 30 ई.स ी . या मिथायल आक्सीडेमेटान 25 ई.स ी . की एक लीटर मात्रा पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिएI
- पातगोभी की फसल में निराई-गुड़ाई कब करनी चाहिए और किस प्रकार करनी चाहिए ? जब पौधे रोपाई के बाद अच्छी तरह से खड़े होकर चलने लगे तो हर सिंचाई के बाद दो से तीन बार निराई-गुड़ाई करके खेत को पोला बना देना चाहिएI जब पौधों में हेड बनना शुरू हो जाये तो पौधों पर मिट्टी चढ़ाना चाहिएI रोपाई से पहले भूमि में वसालीन 48 ई.स ी . 1.5 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करनी चाहिए जिससे खरपवारो का जमाव ही न हो सकेI
- पातगोभी की बुवाई हेतु प्रति हेक्टेयर कितनी मात्रा लगती है और हमारे किसान भाई बीजों का शोधन किस प्रकार करे ? दोनों ही मौसम में बीज की मात्रा 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होती हैI बीज की बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टान या वैसीकाल प्रति किलोग्राम बीज की दर से या बीज शोधन करना चाहिए इसके साथ ही 160 से 175 मिलीलीटर फर्मेल्डीहाईड को 2.5 लीटर पानी में मिलाकर प्रति 20 वर्ग मीटर भूमि के हिसाब से नर्सरी का भी शोधन करना चाहिएI
- जिला उद्यान अधिकारी ने अवगत कराया है कि जनपद के औद्यानिक कृषक भाईयों को राष्ट्रीय कृषि योजना के अन्तर्गत जनपद हेतु शिमला मिर्च उत्पादन क्षेत्रफलन 30 है 0 , पातगोभी क्षेत्रफल 25 है 0 , टमाटर 30 है 0 एवं कुकुरविट्स 14 है 0 कुल 99 है 0 के भौतिक लक्ष्य प्राप्त हुए है जिन पर 0.4 है 0 के लाभार्थियों हेतु क्रमशः धनराशि रू 0 17200 , 9600 , 19000 एवं 2000 की राज्य सहायता कृषि निवेशों यथा बीज , उर्वरक , दवा आदि पर देय है।