पूरना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गुजरात में “ साथिया ” राजस् थान में “ माण् डना ” , महाराष् ट्र में “ रंगोली ” उत् तर प्रदेश में “ चौक पूरना ” , बिहार में “ अहपन ” , बंगाल में “ अल् पना ” और गढ़वाल में “ आपना ” के नाम से प्रसिद्ध है ।
- यह कला विभिन्न क्षेत्रों में अलग - अलग नामों से प्रचलित है , जैसे उत्तर प्रदेश में चौक पूरना , राजस्थान में मांडना , बिहार में ऐपन , बंगाल में अल्पना , महाराष्ट्र में रंगोली , कर्नाटक में रंगवल्ली , तमिलनाडु में कोल्लम , उत्तराखंड में ऐपण , लिखथाप या थापा , आंध्र प्रदेश में मुग्गु या मुग्गुलु , हिमाचल प्रदेश में एपण और केरल में कोलम।
- इसका अलग-अलग नामों से भिन्न-भिन्न रूपों में भारत के अन्य भागों में भी प्रचलन है , गुजरात में इसे सतिया , महाराष्ट्र में रंगोली , मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश में चौक पूरना व सांझी , पहाड़ों में चौक पूरण व कहीं-कहीं ' एपण ' , राजस्थान में मंडने , बिहार में अरिचन , मधुबनी , कहजर , आँध्र प्रदेश में मुग्गुल और दक्षिण भारत में कोलम कहते हैं।
- और वह बड़ी लगन से चित्रों का चप्पा-चप्पा छाँट कर उस पर मेहनत करने लगी : चटके हुए रंगों को पूरना , पपड़ी उठाना , दफ्ती पर बनाये गये चित्रों में गली हुई दफ्ती से रंग उठा कर नये फलक पर जमाना , अलग-अलग चित्रकारों के कूची चलाने के ढंगों की नकल , रंग की पपड़ी की मोटाई का अध्ययन , तेलों की मिलावट-रंगों के भेद और उनके आधार पर देश-काल निर्णय ...
- जिन स्थानों पर तफतीष से यह साबित हो चुका है कि धमाकों में उन बेकसूरों का हाथ नहीं था जिन्हें पहले गिरफ्तार किया गया था तो अब तक उनके ऊपर से मुकदमें उठा कर उनके पुनर्वास के लिए कुछ क्यों नहीं किया गया ? महाराष्ट्र और केन्द्र में सरकार में होने के बावजूद नान्देड़ , परभनी , जालना और पूरना के धमाकों की जाँच करवा कर इंसाफ क्यों नहीं किया गया ? मामला इंसाफ करने और दोषियों पर षिकंजा कसने का नहीं है।
- ( 1) गायन, (2) वादन, (3) नर्तन, (4) नाटय, (5) आलेख्य (चित्र लिखना), (6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन), (7) चौक पूरना, अल्पना, (8) पुष्पशय्या बनाना, (9) अंगरागादिलेपन, (10) पच्चीकारी, (11) शयन रचना, (12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य), (13) जलक्रीड़ा, जलाघात, (14) रूप बनाना (मेकअप), (15) माला गूँथना, (16) मुकुट बनाना, (17) वेश बदलना, (18) कर्णाभूषण बनाना, (19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना, (20) आभूषणधारण, (21) जादूगरी, इंद्रजाल, (22) असुंदर को सुंदर बनाना, (23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव), (24) रसोई कार्य, पाक कला, (25) आपानक (शर्बत बनाना), (26)
- ( 1) गायन , (2) वादन, (3) नर्तन, (4) नाटय, (5) आलेख्य (चित्र लिखना), (6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन), (7) चौक पूरना, अल्पना, (8) पुष्पशय्या बनाना, (9) अंगरागादिलेपन, (10) पच्चीकारी, (11) शयन रचना, (12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य), (13) जलक्रीड़ा, जलाघात, (14) रूप बनाना (मेकअप), (15) माला गूँथना, (16) मुकुट बनाना, (17) वेश बदलना, (18) कर्णाभूषण बनाना, (19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना, (20) आभूषणधारण, (21) जादूगरी, इंद्रजाल, (22) असुंदर को सुंदर बनाना, (23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव), (24) रसोई कार्य, पाक कला, (25) आपानक (शर्बत बनाना), (26)
- ( 1) गायन, (2) वादन, (3) नर्तन, (4) नाटय, (5) आलेख्य (चित्र लिखना), (6) विशेषक (मुखादि पर पत्रलेखन), (7) चौक पूरना, अल्पना, (8) पुष्पशय्या बनाना, (9) अंगरागादिलेपन, (10) पच्चीकारी, (11) शयन रचना, (12) जलतंरग बजाना (उदक वाद्य), (13) जलक्रीड़ा, जलाघात, (14) रूप बनाना (मेकअप), (15) माला गूँथना, (16) मुकुट बनाना, (17) वेश बदलना, (18) कर्णाभूषण बनाना, (19) इत्र यादि सुगंधद्रव्य बनाना, (20) आभूषणधारण, (21) जादूगरी, इंद्रजाल, (22) असुंदर को सुंदर बनाना, (23) हाथ की सफाई (हस्तलाघव), (24) रसोई कार्य, पाक कला, (25) आपानक (शर्बत बनाना), (26) सूचीकर्म, सिलाई, (27)
- तो जाहिर है , जब तक कि हम में से हर एक को स्वीकार करने और सत्ता दूरी की खाई को पटाने की उम्मीद करना बंद हो जाता है , और इस अंतर को पूरना शुरू होता है , जब तक हममें से प्रत्येक को विश्वास है कि वहाँ कुछ के लिए एक इलाज के प्रथम श्रेणी और दूसरों के लिए एक इलाज के तृतीय श्रेणी का नहीं किया जा सकता है शुरू होता है , लोकपाल विधेयक अकेला बहुत कम हासिल कर सकेगा . ” मूल लेख के लिए यहाँ क्लिक करें .