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पूष का अर्थ

पूष अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. अगर रविवार के दिन अस्वनी , पूष, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, सोमवार के दिन रोहिणी, मृ्गशिरा, पूष, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन अस्वनी, कृतिका, अस्लेशा अथवा रेवति नक्षत्र हो, बुधवार के दिन कृतिका, रोहिणी, मृगसिरा, अनुराधा नक्षत्र हो, गुरुवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु, पूष, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्र हो, शुक्रवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु , अनुराधा, श्रवण, अथवा रेवति तथा शनिवार के दिन रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वत सिद्धि योग बनता है.
  2. अगर रविवार के दिन अस्वनी , पूष, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, सोमवार के दिन रोहिणी, मृ्गशिरा, पूष, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन अस्वनी, कृतिका, अस्लेशा अथवा रेवति नक्षत्र हो, बुधवार के दिन कृतिका, रोहिणी, मृगसिरा, अनुराधा नक्षत्र हो, गुरुवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु, पूष, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्र हो, शुक्रवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु , अनुराधा, श्रवण, अथवा रेवति तथा शनिवार के दिन रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वत सिद्धि योग बनता है.
  3. अगर रविवार के दिन अस्वनी , पूष, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, सोमवार के दिन रोहिणी, मृ्गशिरा, पूष, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन अस्वनी, कृतिका, अस्लेशा अथवा रेवति नक्षत्र हो, बुधवार के दिन कृतिका, रोहिणी, मृगसिरा, अनुराधा नक्षत्र हो, गुरुवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु, पूष, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्र हो, शुक्रवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु , अनुराधा, श्रवण, अथवा रेवति तथा शनिवार के दिन रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वत सिद्धि योग बनता है.
  4. सोमवार के साथ रोहिणी , मृ्गसिरा, पुनरवासु, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, मंगलवार के साथ मृगसिरा, पुनरवासु, पूष, अस्लेशा, मेघ, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, चित्रा अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, बुधवार के दिन अद्रा, पुनरवासु, पूष, अस्लेषा, मेघ, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, गुरुवार के साथ अस्वनी, पुनरवासु, पूष, मेघ, अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, शुक्रवार के साथ अस्वनी, भरणी ,पूर्व फाल्गुनी अथवा रेवाति नक्षत्र होने से, शनिवार के साथ कृतिका, रोहिणी स्थाविशक अथवा स्वाति नक्षत्र के होने से अमृ्त योग बनता है.
  5. सोमवार के साथ रोहिणी , मृ्गसिरा, पुनरवासु, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, मंगलवार के साथ मृगसिरा, पुनरवासु, पूष, अस्लेशा, मेघ, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, चित्रा अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, बुधवार के दिन अद्रा, पुनरवासु, पूष, अस्लेषा, मेघ, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, गुरुवार के साथ अस्वनी, पुनरवासु, पूष, मेघ, अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, शुक्रवार के साथ अस्वनी, भरणी ,पूर्व फाल्गुनी अथवा रेवाति नक्षत्र होने से, शनिवार के साथ कृतिका, रोहिणी स्थाविशक अथवा स्वाति नक्षत्र के होने से अमृ्त योग बनता है.
  6. सोमवार के साथ रोहिणी , मृ्गसिरा, पुनरवासु, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, मंगलवार के साथ मृगसिरा, पुनरवासु, पूष, अस्लेशा, मेघ, पूर्व फाल्गुनी, हस्त, चित्रा अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, बुधवार के दिन अद्रा, पुनरवासु, पूष, अस्लेषा, मेघ, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा अथवा श्रवण नक्षत्र होने से, गुरुवार के साथ अस्वनी, पुनरवासु, पूष, मेघ, अथवा स्वाति नक्षत्र होने से, शुक्रवार के साथ अस्वनी, भरणी ,पूर्व फाल्गुनी अथवा रेवाति नक्षत्र होने से, शनिवार के साथ कृतिका, रोहिणी स्थाविशक अथवा स्वाति नक्षत्र के होने से अमृ्त योग बनता है.
  7. क्या होगा कोई मनुष्य ऐसा जिसने न उठाया हो लुत्फ बादलों की लुकमींचणी का क्या होगा कोई मनुष्य ऐसा जिसने न देखा हो उल्काओं को किशोरियों की तरह कूदते-फाँदते क्या होगा कोई मनुष्य ऐसा जिस के पाँव न जले हों जेठ की धूप में क्या होगा कोई मनुष्य ऐसा जो न नहाया हो भादों की बरसात में क्या होगा कोई मनुष्य ऐसा जिस की हड्डियाँ न ठिठुरी हों पूष मास में अगर होगा कोई मनुष्य ऐसा तो अवश्य ही रहता होगा वह किसी साठ सत्तर मन्जिले कठघरे में किसी महानगर कहलाते चिडिया घर में।
  8. बचपन मैं जैसी तुम थी ! मुझे याद आती है उन बीते वर्षो की,बचपन की, बचपन के चंचल हर्षों की,सेबों के डालो पर चढ़ कर उन्हें झुकाना,और ललाई भरे सेब पुलकित हो खानाकभी खुबानी के डालों को हिला हिला कर छाया को पीली खुबानियों से देना भर!शीत पूष में,नभ में थे बादल घिर आते,चलती तीक्षण हवा थी,व्यर्थ पवन में बहतेबर्फीली तूफ़ान हिमालय के उर से थे!जम जाती थी बर्फ टोपियों पर,पावों के तलवे के निशाँ पर, हिम के कुटी बनातेफिरते रहते थे बाहर ही गाते गाते!और दुसरे दिन जब धूप निकल आती थीतब वह पीली धुप हमें कित्तनी भाती थी!
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