पेट-दर्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- दो वर्षों से पेट-दर्द से परेशान जोएन रोसॉल की बीमारी का पता लगाने में नाकाम इंग्लैड के शेफ़ील्ड शहर स्थित रॉयल हैलमशायर अस्पताल के डॉक्टरों ने नई तकनीक का सहारा लिया है .
- पेट-दर्द , और उदर रोग से पीड़ित होने पर तुलसी के पत्तों का रस और अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करके सेवन करने से कष्ट दूर हो जाता है।
- संघ की एक ' वृहत हिन्दू मंच ' के तहत पिछड़ी दलित-दमित जातियों को साथ लेकर चलने की नई मुहीम कहीं हमारे कुछ समाज विज्ञानियों के पेट-दर्द का सबब न बन जाए।
- परन्तु क्या चैनल , क्या अखबार, क्या सेकुलर बुद्धिजीवी और क्या वामपंथी लेखक… किसी का पेट-दर्द 8-10 घण्टे भी छिपाये न छिप सका और धड़ाधड़ बयान, लेख और टिप्पणियाँ आने लगीं कि आखिर अदालत ने यह फ़ैसला दिया तो दिया कैसे?
- परन्तु क्या चैनल , क्या अखबार, क्या सेकुलर बुद्धिजीवी और क्या वामपंथी लेखक… किसी का पेट-दर्द 8-10 घण्टे भी छिपाये न छिप सका और धड़ाधड़ बयान, लेख और टिप्पणियाँ आने लगीं कि आखिर अदालत ने यह फ़ैसला दिया तो दिया कैसे?
- कहना मेरा मान फटाफट मेरा कहना मान कर लोगों को पेट-दर्द की गोली क्यों नहीं दे देता ? इसमें लिहाज़ कैसा ? यह क्यों नहीं बता देता कि हरमाईन नें कुत्ताश्री के सामने स्वयँवर की एक टेढ़ी शर्त रखी थी ।
- कहना मेरा मान फटाफट मेरा कहना मान कर लोगों को पेट-दर्द की गोली क्यों नहीं दे देता ? इसमें लिहाज़ कैसा ? यह क्यों नहीं बता देता कि हरमाईन नें कुत्ताश्री के सामने स्वयँवर की एक टेढ़ी शर्त रखी थी ।
- एक चिकित्सक पैसों में लिप्त होकर कहीं गरीबों की किडनी निकाल रहा है , कहीं नवजात शिशुओं को मारकर खा रहा है ( Noida killings ) , कहीं पेट-दर्द की शिकायत पर आई स्त्रियों का अनायास ही गर्भाशय निकाल कर उन्हें मौत के घाट भेज रहा है ।
- तभी तो न जाने क्यों पापा चुप होकर वहाँ से हट गए और मम्मी भुनभुनाती हुई ही मिकी को पाटी तक ले गई । “ मम्मीऽऽऽ पेऽऽऽट दर्द . ..” मिकी फिर रिरियायी । “ कोई पेट-दर्द नहीं है,” मम्मी मिकी से भी गुस्सा हो गई,” रोज यही नौटंकी दिखाती है...।
- साथ ही यह भी कि नरेन्द्र मोदी के नाम को लेकर “पेट-दर्द” की शिकायत सेकुलरों को अक्सर हो जाया करती है , सेकुलरों का यह पेट-दर्द बढ़ते-बढ़ते “बवासीर” तक बन चुका है, लेकिन नरेन्द्र मोदी फ़िर भी तीसरी-चौथी बार मुख्यमंत्री बन ही जाते हैं, क्या करें गुजरात की जनता कुछ समझती ही नहीं…