प्रकाशी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 7 . अंधेरे और रात्रि के प्रतीक शीतलदायक नाम- निशा , कजली , यामिनी , रजनी , रोशनी , निशी , किरण , दीप्ति , चन्दा , चन्दो , प्रकाशी , प्रकाशो , शीतल , कृष्णा , दीपा , प्रभा , भानुमति , पूर्णिमा , उषा आदि।
- 7 . अंधेरे और रात्रि के प्रतीक शीतलदायक नाम- निशा , कजली , यामिनी , रजनी , रोशनी , निशी , किरण , दीप्ति , चन्दा , चन्दो , प्रकाशी , प्रकाशो , शीतल , कृष्णा , दीपा , प्रभा , भानुमति , पूर्णिमा , उषा आदि।
- पंचायत में जयपाल सिंह , गजे सिंह , गोपी , रण सिंह , बलजीत , रोहताश , तारा , जर्नाधन , लोती , राम ध्वज , कटारा , ओमबती , पपनों , शिमला , जगबीरी , मोनिका , रेनू , विश्मबरी , प्रकाशी , गुड्डी आदि मौजूद रहे।
- पंचायत में जयपाल सिंह , गजे सिंह , गोपी , रण सिंह , बलजीत , रोहताश , तारा , जर्नाधन , लोती , राम ध्वज , कटारा , ओमबती , पपनों , शिमला , जगबीरी , मोनिका , रेनू , विश्मबरी , प्रकाशी , गुड्डी आदि मौजूद रहे।
- जुगनु हैं ये स्वयं प्रकाशी पल-पल भास्वर पल-पल नाशी कैसा अद्भुत योगदान है इनका भी वर्षा-मंगल में इनकी विजय सुनिश्चित ही है तिमिर तीर्थ वाले दंगल में इन्हें न तुम बेचारे कहना अजी यही तो ज्योति-कीट हैं जान भर रहे हैं जंगल में गीली भादों रैन अमावस . ..
- एक दृष्टान्त : नब्बे के उत्तरार्ध में बहादुर शाह ज़फर से प्रकाशी एक अंग्रेजी समाचार पत्र में “ एक महिला पत्रकार की खबरे अक्सर प्रथम पृष्ट पर इसलिए छाप जाते थे - माह में २ ० - क्योकि वे संपादक के “ बहुत करीब ” मानी जाती थी .
- जान भर रहे हैं जंगल में जुगनु हैं ये स्वयं प्रकाशी पल-पल भास्वर पल-पल नाशी कैसा अद्भुत योगदान है इनका भी वर्षा-मंगल में इनकी विजय सुनिश्चित ही है तिमिर तीर्थ वाले दंगल में इन्हें न तुम बेचारे कहना अजी यही तो ज्योति-कीट हैं जान भर रहे हैं जंगल में गीली भादों रैन अमावस . ..
- प्रकाशन : बिखरे मोती , कादम्बरी , अछूते स्वर एवं ओस में भीगते सपने और साँसों के हस्ताक्षर ( काव्य-संग्रह ) , दर्पण के सवाल ( हाइकु-संग्रह ) , अनेकों भारतीय एवं अमरीका की पत्र-पत्रिकाओं में कहानी , कविता , कॉलम , साक्षात्कार एवं लेख प्रकाशित , प्रवासी भारतीयों के दुःख-दर्द और अहसासों पर एक पुस्तक शीघ्र प्रकाशी य.
- अरविंदजी , आपके लिए …गोविंद की सौं है अरविंद , अरविंद सो है ,नियम आचार तेज संयम प्रकाशी है !ज्ञानी , है विज्ञानी , संतजन - सा है ध्यानी ,पूरा सागर विराट ; न कि बूंद ये ज़रा - सी है !!लघु का भी मान करे , गुणी का सम्मान करे ,सुना था कि कृष्ण के सदृस महारासी है !राजेन्द्र कसौटी बिन परखे है खरा सोना ,कृष्ण - सा ही योगी , कर्मवीर ये संन्यासी है !! - राजेन्द्र स्वर्णकार
- उनमें अर्थ भरने वाला रहा ही नहीं ! उन अन्हार भरे प्रकाशी क्षणों में कैसे तुम वाक्यों से शब्द , शब्दों से अक्षर और अक्षरों से उनके रूप छीन कर नभ की ओर उछाल दिया करते थे ! नभ और हमारे बीच की छत का अस्तित्त्व ही नहीं रह जाता था और मैं आँखें फाड़े शून्य में देखा करता था - तुम्हारे स्वर में शक्ति है कि उसके पीछे के आत्मविश्वास में कि उस अज्ञान में जो मौन को व्यर्थ समझता है ?