बँसवारी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- दऊराजा तोंहसे बड़ा न कोई दानी तोहईं से चलै जिनगानी कै कहानी पेड़ पालो घास फूस चाहे होवै खरई बँसवारी , सरपत होय चाहे नरई फूल मुरझाय जाय पड़ले बिन पानी जीव जन्तु होयँ चाहे चिरइ चुंगुरवा पैंडा नापै धनियाँ कै नइहर ससुरवा दिन गिनै भितिया पर खीच के चिन्हानी बरखा न होई त जुलुम होई भारी नीक नाहीं लागी तिहुआर तिहुआरी भंम ररी सगरो, देखाय नाहीं पानी भेज के बदरवा तू पानी बरसाय दा धरती के लोगवा कै जिनीगी बचाय दा नेकिया निहोरा समे तोहरइ मानी हे दैव राजा! तुमसे बड़ा कोई दानी नहीं है।
- बधाई प्रज्ञा ! बहुत दिनों से ऐसी जरूरत महसूस की जा रही थी , जिनमे खोई हुई सुबहें तलाशी जा सकें ! तुमने भी खेत खरिहान ओसारी दुआरे सब देखा , मैंने भी बँसवारी , कुआँ नदी सब देखा ! जिसकी बात लिखी गई वह इसलिए जिन्दा है क्यों की भाग आई ! मै जिससे मिली वह इसलिए जिन्दा है , क्योंकि रातभर कमर भर पानी में खड़ी रही आत्महत्या न कर सकी ! ऐसे लोंगों के जीवन में सुबह नहीं आती ! आज गंगा दशहरा के अवसर पर तुम्हारे भागीरथ प्रयास के लिए शुभ कामनाएं !