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बाँक का अर्थ

बाँक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. वही दूसरे कुछेक रीतिमुक्त कवियों में संस्कृतनिष्ठता से अलग भी चला गया है , यह बात “अति सूधो सनेह को मारग है, जहँ नैकु सयानप बाँक नहीं” की सहजता लिये हुये है।
  2. ये हैं - सागर मुद्रा ( १९७१), पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ (१९७४), महावृक्ष के नीचे (१९७७), नदी की बाँक पर छाया (१९८२) और ऐसा कोई घर आपने देखा है (१९८६) ।
  3. वही दूसरे कुछेक रीतिमुक्त कवियों में संस्कृतनिष्ठता से अलग भी चला गया है , यह बात “ अति सूधो सनेह को मारग है , जहँ नैकु सयानप बाँक नहीं ” की सहजता लिये हुये है।
  4. आज्ञा चक्र की विरल उपलद्भियों में पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ , महावृक्ष के नीचे और नदी की बाँक पर छाया है , और उनक महत्तम आयास - सहस्रार चक्र की उपलब्धि जैसा की नाम से ही स्पष्ट है -वह है 'ऐसा कोई घर आपने देखा है “।
  5. मुझे याद है 1982 ई॰ की गर्मियों में मैं जब उसके साथ लम्बे समय तक जे॰एन॰यू॰ के पेरियार हॉस्टल में था , तब उसने अज्ञेय के कविता-संग्रह ' नदी की बाँक पर छाया ' पर एक अद्भुत समीक्षा लिखी थी , जो ' आजकल ' में छपी थी।
  6. आज्ञा चक्र की विरल उपलद्भियों में पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ , महावृक्ष के नीचे और नदी की बाँक पर छाया है , और उनक महत्तम आयास - सहस्रार चक्र की उपलब्धि जैसा की नाम से ही स्पष्ट है -वह है ' ऐसा कोई घर आपने देखा है “ ।
  7. करूणा प्रभामय , आँगन के पार द्वार, पूर्वा (इत्यलम् तथा हरी घास पर क्षण भर), सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में) और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
  8. ये हैं - सागर मुद्रा ( १ ९ ७ १ ) , पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ ( १ ९ ७ ४ ) , महावृक्ष के नीचे ( १ ९ ७७ ) , नदी की बाँक पर छाया ( १ ९ ८ २ ) और ऐसा कोई घर आपने देखा है ( १ ९ ८ ६ ) ।
  9. अति सूधो सनेह को मारग है , जहँ नेकु सयानप बाँक नहीं तहँ सीधे चलौ तजि आपनपौ, झिझकैं कपटी जो निशाँक नहीं घननंद के प्यारे सुजान सुनौ, यहँ एक ते दूसरो आँक नहीं तुम कौन सी पाटी पढ़े हौ कहौ, मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं (प्रेम का मार्ग बिलकुल सीधा है जहाँ सयानेपन और चतुराई के लिए कोई जगह नहीं है।
  10. भग्नदूत , चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा, सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, ऐसा कोई घर आपने देखा है (हिंदी) प्रिज़न डेज़ एंड अदर पोयम्स (अंग्रेजी)
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