बालकपन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जीवात्मा जैसे जन्म , बालकपन , जवानी एवं बृद्धावस्था से गुजरती है वैसे देह परिवर्तन भी उसका एक स्थिति है , इससे धीर पुरुष मोहित नही होते ।
- भावार्थ : जैसे जीवात्मा की इस देह में बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है, उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता।
- बालकपन में जहाँ सूर्य , चंद्र, मंगल आदि ग्रहों की कुदृष्टि को बचानेवाला तांबे चाँदी की पतड़ियों और मूँगे आदि का कठला था वहाँ अब लाल फीते से चार चाँदी के गोल-गोल तमगे लटक रहे थे।
- भी कुछ नही बदलता जैसे जीवात्मा की इस देह में बालकपन , जवानी और वृद्धावस्था होती है , वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है , उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता
- जिस प्रकार युवा होने होने से बालकपन मर जाता है और वृद्धा होने से युवापन , ठीक उसी प्रकार दूसरा शरीर धारण करने से पहला शरीर मर जाता है और तीसरा शरीर धारण करने से दूसरा शरीर ।
- एक बढ़ई का लड़का बढ़ईगिरी जितनी शीघ्रता और सुगमता के साथ सीखकर उसमें निपुण हो सकता है , उतना दूसरा नहीं , क्योंकि वंश-परम्परा और बालकपन से ही उसके उस कला के योग्य संस्कार बन जाने हैं।
- ये जीवन के अरुण क्षितिज पर , सतत निखरता बालकपन है,उड़ उड़ कलरव करते पंछी,और बिहंसती प्रकृति साथ है,खेल खेल में बढ़ते बालक,की भांति सूर्य का चढ़ जाना है,ये विकसित होता मानव मन है,या सुन्दर होता अम्बर तन है?
- जिस प्रकार युवा होने होने से बालकपन मर जाता है और वृद्धा होने से युवापन , ठीक उसी प्रकार दूसरा शरीर धारण करने से पहला शरीर मर जाता है और तीसरा शरीर धारण करने से दूसरा शरीर ।
- ब्रह्मचारी अर्थात् आदर्शवादी परम्पराओं के आचरण का अभ्यास करने वाला बालकपन , जन्म से लेकर बीस पच्चीस वर्ष तक का आयुष्य भावी जीवन के विधिवत् जीने का कला सीखने की इस तैयारी में ही लगाया जाना चाहिए ।।
- पिता की कठोर शिक्षा से बालकपन से ही उसे वह स्वभाव पड़ गया था कि दो वर्ष प्रयाग में स्वतंत्र रहकर भी वह अपने चरित्र को , केवल पुरुषों के समाज में बैठकर , पवित्र रख सका था।