बाल-सखा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पोल् स् का के वरिष् ठ जायकोव् स् की ने कहीं कहा है , ‘ स् मृति हमारी गहरी उदासियों की बाल-सखा है जो आनंद-चंगुल क्षणों में हमारी उंगलियां थामे फिर-फिर हमें उदास-स्मित करने को चली आया करती है [ 5 ] . '
- ई अपैंत्मेंट का होत है भैया ? हम ठहरे बाल-सखा बाल-सखा सुदामा गोकुल में साथ-साथ गौएँ चराया करते थे ” ” तो जाकर चराओ न , इधर काहे वास्ते माथा खाता है तुम्हारे जैसा दर्ज़नों सुदामा आता है इधर साहब का मिलने वास्ते .
- ई अपैंत्मेंट का होत है भैया ? हम ठहरे बाल-सखा बाल-सखा सुदामा गोकुल में साथ-साथ गौएँ चराया करते थे ” ” तो जाकर चराओ न , इधर काहे वास्ते माथा खाता है तुम्हारे जैसा दर्ज़नों सुदामा आता है इधर साहब का मिलने वास्ते .
- धीरे -धीरे बोझिल कदमों से बाहर आ गए ‘ भैये भेंट हो गयी अपने बाल-सखा से ? - द्वारपाल ने जिज्ञासा प्रगट की सुदामा बंगले की सीढियां उतरते सड़क पर आ गए ” फिर आईहौ लला ! पोटली लाना न भूलिअहौ ” - द्वारपाल ने आवाज़ लगाईं अस्तु !
- एक व्यंग : सुदामा फिर आइहौ.... सुदामा की पत्नी ने अपनी व्यथा कही .... ' हे प्राण नाथ ! या घर ते कबहूँ न बाहर गयो,यह पुरातन फ्रीज़ और श्वेत-श्याम टी०वी० अजहूँ ना बदली जा सकी.पड़ोस की गोपिकाएं कहती हैं 'हे सखी! आज-कल आप के बाल-सखा श्रीकृष्ण का राज दरबार...
- एक व्यंग : सुदामा फिर आइहौ.... सुदामा की पत्नी ने अपनी व्यथा कही .... ' हे प्राण नाथ ! या घर ते कबहूँ न बाहर गयो,यह पुरातन फ्रीज़ और श्वेत-श्याम टी०वी० अजहूँ ना बदली जा सकी.पड़ोस की गोपिकाएं कहती हैं 'हे सखी! आज-कल आप के बाल-सखा श्रीकृष्ण का राज दरबार
- ' बाथरूम' का यदि शब्दश: हिंदी एक व्यंग: सुदामा फिर आइहौ.... एक व्यंग: सुदामा फिर आइहौ.... सुदामा की पत्नी ने अपनी व्यथा कही .... ' हे प्राण नाथ ! या घर ते कबहूँ न बाहर गयो,यह पुरातन फ्रीज़ और श्वेत-श्याम टी०वी० अजहूँ ना बदली जा सकी.पड़ोस की गोपिकाएं कहती हैं 'हे सखी! आज-कल आप के बाल-सखा श्रीकृष्ण का राज दरबार दिल्ली में है.आप दिल्ली में द्वारिका की यात्रा क्यों नहीं करते?
- -द्वारपाल ने बन्दूक की बट टोंकते हुए कड़कती आवाज़ में कहा ” भइए मैं , मैं हूँ सुदामा . , श्री कृष्ण ले बाल-सखा मित्र से मिलना है ” ” मिलना है ? हूँ ! ” - द्वारपाल ने एक व्यंगात्मक व परिहासजन्य कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा - ' मिलाना है ? अरे ! अपना रूप देखा है ? साहब के बाल-सखा है ! चला आया मिलने ! हूँ , अप्वांतमेंट लिया है ? ” -द्वारपाल ने जिज्ञासा प्रगट की . “
- -द्वारपाल ने बन्दूक की बट टोंकते हुए कड़कती आवाज़ में कहा ” भइए मैं , मैं हूँ सुदामा . , श्री कृष्ण ले बाल-सखा मित्र से मिलना है ” ” मिलना है ? हूँ ! ” - द्वारपाल ने एक व्यंगात्मक व परिहासजन्य कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा - ' मिलाना है ? अरे ! अपना रूप देखा है ? साहब के बाल-सखा है ! चला आया मिलने ! हूँ , अप्वांतमेंट लिया है ? ” -द्वारपाल ने जिज्ञासा प्रगट की . “