बिद्ध का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- चंचल चपल हे मृगनयनी नयन बाण से बिद्ध ह्रदय लो अधरामृत का लेप लगाकर प्रेम को आधार बनाकर होशो-हवास पर मोहिनी बरसाकर मुझको अपना श्याम बना लो महारास की शीतल बेला में रूप-लावण्य का रंग बिखरे है पायल की छम-छम छंकारों पर प्रीत का बादल नृत्य किए है दास को प्रेम सुधा का पान कराकर जीवन का अलंकार बनाकर अपने हृदयांगन का प्रहरी बना लो चंचल चपल हे मृगनयनी मुझको अपना दास बना लो
- नीद में होऊं भले या चेतना में हर्ष में होऊं भले या वेदना में एक पल भी भूल पाऊं ना तुम्हे बस यही कर दो सदा ही मैं तुम्हारा हर घड़ी सुमिरन करुँ बस गान तेरा ही करुँ खींचती हैं ओर अपनी वासनायें दंभ भी फुंफकारता है फन उठाये बिद्ध हूँ मैं पाश में माया जगत के बन्ध सारे काट दो कि मैं सदा बस ध्यान तुम पर ही धरूँ बस गान तेरा ही करुँ
- “”लहराता था पानी , हाँ हाँ यही कहानी।“ ”गाते थे खग कल कल स्वर से, सहसा एक हँस ऊपर से, गिरा बिद्ध होकर खर शर से, हुई पक्षी की हानी।“ ”हुई पक्षी की हानी? करुणा भरी कहानी!“ चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म सा उसने पाया, इतने में आखेटक आया, लक्ष सिद्धि का मानी।”“लक्ष सिद्धि का मानी! कोमल कठिन कहानी।” “माँगा उसने आहत पक्षी, तेरे तात किन्तु थे रक्षी, तब उसने जो था खगभक्षी, हठ करने की ठानी।” “हठ करने की ठानी! अब बढ़ चली कहानी।”