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बेदख़ली का अर्थ

बेदख़ली अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. सांस्कृतिक चौपाल का ई-चौपाल में बदलना अथवा बाज़ारवाद के फलस्वरूप अपने भीतर आई बेदख़ली पर व्यक्ति का वश तो नहीं है , पर उसकी हिस्सेदारी अवश्य है और प्रकारांतर से सहमति भी ; पर अपने घर-गाँव से जबरिया फेंके जाने में व्यक्ति की सहमति कदापि नहीं है, हाँ उसका वश चाहे न हो।
  2. सांस्कृतिक चौपाल का ई-चौपाल में बदलना अथवा बाज़ारवाद के फलस्वरूप अपने भीतर आई बेदख़ली पर व्यक्ति का वश तो नहीं है , पर उसकी हिस्सेदारी अवश्य है और प्रकारांतर से सहमति भी ; पर अपने घर-गाँव से जबरिया फेंके जाने में व्यक्ति की सहमति कदापि नहीं है , हाँ उसका वश चाहे न हो।
  3. प्रतापगढ़ , सुल्तानपुर , रायबरेली में नज़राना और बेदख़ली को लेकर बाबा रामचंद जैसे नेता की नुमाइंदगी में अवध किसान आंदोलन , हरदोई और उसके अतराफ़ ' एका ' आंदोलन , नागपुर कांग्रेस के बाद दिसंबर , 1920 से फरवरी , 1921 तक गांधी का मुख्तलिफ़ जिलों का दौरा , जिसमें गोरखपुर भी शामिल था।
  4. विस्थापन का साहित्य विस्थापन का विस्तार कहाँ से कहाँ तक हो सकता है , तो इस प्रश्न का उत्तर संभवतः यही होगा- अपने घर-गाँव से जबरिया फेंके जाने एवं सांस्कृतिक चौपाल का ई-चौपाल में बदलने (उमा वाजपेयी, 2007) से लेकर बाज़ारवाद के फलस्वरूप अपने भीतर आई बेदख़ली (रामरतन ज्वेल, 2007) तक; लेकिन इस विस्तार तक जाने का खतरा यह है कि विस्थापन का जो वर्तमान प्रसंग है, वह एक तरफ़ रह जाएगा ।
  5. विस्थापन का साहित्य विस्थापन का विस्तार कहाँ से कहाँ तक हो सकता है , तो इस प्रश्न का उत्तर संभवतः यही होगा- अपने घर-गाँव से जबरिया फेंके जाने एवं सांस्कृतिक चौपाल का ई-चौपाल में बदलने ( उमा वाजपेयी , 2007 ) से लेकर बाज़ारवाद के फलस्वरूप अपने भीतर आई बेदख़ली ( रामरतन ज्वेल , 2007 ) तक ; लेकिन इस विस्तार तक जाने का खतरा यह है कि विस्थापन का जो वर्तमान प्रसंग है , वह एक तरफ़ रह जाएगा ।
  6. इससे गहरा ऋणानुबंध क्या होगा जो मुझे ठेठ अपनी अस्मिता की जड़ों तक ले गया ! विस्थापन विस्थापन का साहित्य विस्थापन का विस्तार कहाँ से कहाँ तक हो सकता है, तो इस प्रश्न का उत्तर संभवतः यही होगा- अपने घर-गाँव से जबरिया फेंके जाने एवं सांस्कृतिक चौपाल का ई-चौपाल में बदलने (उमा वाजपेयी, 2007) से लेकर बाज़ारवाद के फलस्वरूप अपने भीतर आई बेदख़ली (रामरतन ज्वेल, 2007) तक; लेकिन इस विस्तार तक जाने का खतरा यह है कि विस्थापन का जो वर्तमान प्रसंग है, वह एक तरफ़ रह जाएगा ।
  7. वनाधिकार कानून के तहत वनसमुदायों को मान्यता प्राप्त अधिकार सौंपने की बजाय लोगों को जंगलक्षेत्रों से बेदख़ली के आदेश जारी किये जा रहे हैं , समुदायों द्वारा प्रस्तुत किये गये दावों को निरस्त करने का अधिकार न होने के बावज़ूद बड़ी संख्या में निरस्त किया जा रहा है, सामुदायिक अधिकारों की बात पर एकदम चुप्पी है, लोगों को लघुवनोपज के अधिकार से वंचित किया जा रहा है और जंगल में अपनी ज़रूरतों का सामान लेने गये लोगों को लकड़ी काटने व शिकार आदि के मुकदमों में अंग्रेजी काल के कानूनों का सहारा लेकर झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है।
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