भंगिन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परन्तु यह घोर स्वार्थ के साथ वर्ण-व्यवस्था की अमानवीय विचारधारा का असर ही कहा जायेगा कि वह उस भंगिन के बेटे के छूने से भी न केवल मना करती है , बल्कि उसे खूब खरी खोटी सुनाती है।
- व्यास जी को इस पर कोई आपत्ति नहीं हुई और उन्होंने सहजता से उस भंगिन द्वारा जूठन में से दी गई प्रसाद की पकौड़ी को आदरपूर्वक लेकर ग्रहण किया , जिसे देखकर वे चिढ़ने वाले लोग भी दंग रह गए ।
- गाँव की सारी बैयरों ने मिलकर जब जगराम बाबा के थान पर मैंड़े की पूजा की और ' होका ' गातीं फिरक लेकर बारी-बारी से नाचीं , तो उन्होंने नई आई उस भंगिन बहू को भी नाचने के लिए विवश कर दिया था।
- गली के विरोध के बाद यह परकाला न मालूम किस भडुवे को बेच जाये ? याद करो , कुसुमी की मां क्या कहती थी , खसम की ढोलक ने पूरी गली को सुना कर कहा था - इस घर में भंगिन बसा कर जाऊंगी कि गली के लोगों की मूछों पर झाडू फ़ेरती रहे।
- ' अतीत के चल-चित्र' में सेवक 'रामा' की वात्सल्यपूर्ण सेवा, भंगिन 'सबिया' का पति-परायणता और सहनशीलता, 'घीसा' की निश्छल गुरुभक्ति, साग-भाजी बेचने वाले अंधे 'अलोपी' का सरल व्यक्तित्व, कुम्हार 'बदलू' व 'रधिया' का सरल दांपत्य प्रेम तथा पहाड़ की रमणी 'लछमा' का महादेवी के प्रति अनुपम प्रेम, यह सब प्रसंग महादेवी के चित्रण की अकूत क्षमता का परिचय देते हैं।
- ' अतीत के चल-चित्र' में सेवक 'रामा' की वात्सल्यपूर्ण सेवा, भंगिन 'सबिया' का पति-परायणता और सहनशीलता, 'घीसा' की निश्छल गुरुभक्ति, साग-भाजी बेचने वाले अंधे 'अलोपी' का सरल व्यक्तित्व, कुम्हार 'बदलू' व 'रधिया' का सरल दांपत्य प्रेम तथा पहाड़ की रमणी 'लछमा' का महादेवी के प्रति अनुपम प्रेम, यह सब प्रसंग महादेवी के चित्रण की अकूत क्षमता का परिचय देते हैं।
- सेवक रामा की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन सबिया की पति-परायणता और सहनशीलता, घीसा की निश्छल गुरुभक्ति, साग-भाजी के विक्रेता अंधे अलोपी का सरल व्यक्तित्व, कुंभकार बदलू तथा रधिवा का सरल दांपत्य प्रेम, पहाड़ की रमणी लक्षमा का महादेवी के प्रति अनुपम स्नेह-भाव, वृद्ध भक्तिन की प्रगल्भता तथा स्वामी-भक्ति, चीनी युवक की करुण-मार्मिक जीवन-गाथा, पार्वत्य कुली जंगबहादुर तथा उसके अनुज धनिया की कर्मठता आदि अनेक विषयों को रेखाचित्रों में स्थान दिया है।
- सेवक रामा की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन सबिया की पति-परायणता और सहनशीलता, घीसा की निश्छल गुरुभक्ति, साग-भाजी के विक्रेता अंधे अलोपी का सरल व्यक्तित्व, कुंभकार बदलू तथा रधिवा का सरल दांपत्य प्रेम, पहाड़ की रमणी लक्षमा का महादेवी के प्रति अनुपम स्नेह-भाव, वृद्ध भक्तिन की प्रगल्भता तथा स्वामी-भक्ति, चीनी युवक की करुण-मार्मिक जीवन-गाथा, पार्वत्य कुली जंगबहादुर तथा उसके अनुज धनिया की कर्मठता आदि अनेक विषयों को रेखाचित्रों में स्थान दिया है।
- यह विडम्बना ही कही जायेगी कि जो बच्चा उसके हिस्से का दूध पीकर बड़ा होता है और भंगिन का दूध पीता है वह भी छुआछूत में विश्वास करता है और महेश बाबू की पत्नी को जब दूध नहीं उतरता तो वह भुंगी भंगिन की चिरौरी करती है और तरह तरह के लालच देकर अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसे राजी कर लेती है और इसके लिए वह अपने बच्चे को भी दूध नहीं पिलाती।
- यह विडम्बना ही कही जायेगी कि जो बच्चा उसके हिस्से का दूध पीकर बड़ा होता है और भंगिन का दूध पीता है वह भी छुआछूत में विश्वास करता है और महेश बाबू की पत्नी को जब दूध नहीं उतरता तो वह भुंगी भंगिन की चिरौरी करती है और तरह तरह के लालच देकर अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसे राजी कर लेती है और इसके लिए वह अपने बच्चे को भी दूध नहीं पिलाती।