भग्नदूत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रचना कर्म : कवितासंग्रह : भग्नदूत ,चिंता ,इत्यलम ,हरी घास पर क्षण भर ,बावरा अहेरी ,इन्द्रधनु रौंदे हुए, आँगन के पार द्वार ,सुनहरे शैवाल, कितनी नावो में कितनी बार , पहले मै सन्नाटा बुनता हूँ, ऐसा कोई घर आपने देखा है।
- रचना कर्म : कवितासंग्रह : भग्नदूत ,चिंता ,इत्यलम ,हरी घास पर क्षण भर ,बावरा अहेरी ,इन्द्रधनु रौंदे हुए, आँगन के पार द्वार ,सुनहरे शैवाल, कितनी नावो में कितनी बार , पहले मै सन्नाटा बुनता हूँ, ऐसा कोई घर आपने देखा है।
- ‘ भग्नदूत ' और ‘ इत्यअलम ' जैसे उनके प्रारंभिक संकलनों को पुनर्पाठ के लिए जरूरी बताते हुए केदारजी ने कहा कि बड़ी कविता में वे रेहटरिक हो जाते थे वहीं छोटी कविताओं में उनकी पूरी रचनात्मक शक्ति और सामर्थ्य दिखाई पड़ती है।
- कविता संग्रह भग्नदूत , इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
- हिन्दी काव्य की विजयिनी कीर्ति-वसुंधरा का अज्ञेय नामधारी कवि ऐसा दूत है- ' भग्नदूत', जो अपनी 'चिन्ता' को 'इत्यलम' कहकर विरम नहीं गया, बल्कि 'हरी घास पर क्षण भर ' बैठकर वह 'बावरा अहेरी' कलेजा दबाये एकटक देखता रहा - पड़े हैं सामने 'इन्द्रधनु रौंदे हुए ये' ।
- हिन्दी काव्य की विजयिनी कीर्ति-वसुंधरा का अज्ञेय नामधारी कवि ऐसा दूत है- ' भग्नदूत', जो अपनी 'चिन्ता' को 'इत्यलम' कहकर विरम नहीं गया, बल्कि 'हरी घास पर क्षण भर ' बैठकर वह 'बावरा अहेरी' कलेजा दबाये एकटक देखता रहा - पड़े हैं सामने 'इन्द्रधनु रौंदे हुए ये' ।
- प्रमुख कृतियाँ - कविता संग्रह : भग्नदूत, इत्यलम,हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा‚ पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ‚ महावृक्ष के नीचे‚
- प्रमुख कृतियाँ - कविता संग्रह : भग्नदूत, इत्यलम,हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा‚ पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ‚ महावृक्ष के नीचे‚
- यह जानने के लिये ‘ भग्नदूत ' ( 1933 ) से लेकर मरूथल ' ( 1995 ) तक फैले उनके विस्तीर्ण काव्य-संसार , तीन उपन्यासों और सात कहानी संग्रहों में स्पंदित उनकी कथा-संवेदना और आलोचना , निबंध , नाटक , यात्रा-वृतान्त , संस्मरण आदि साहित्य रूपों में विन्यस्त उनके बहुआयामी लेखन के भीतर उतरना होगा .
- हिन्दी काव्य की विजयिनी कीर्ति-वसुंधरा का अज्ञेय नामधारी कवि ऐसा दूत है- ' भग्नदूत ' , जो अपनी ' चिन्ता ' को ' इत्यलम ' कहकर विरम नहीं गया , बल्कि ' हरी घास पर क्षण भर ' बैठकर वह ' बावरा अहेरी ' कलेजा दबाये एकटक देखता रहा - पड़े हैं सामने ' इन्द्रधनु रौंदे हुए ये ' ।