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भदई का अर्थ

भदई अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. योजना के तहत बीमित फसल है - अगहनी धान एवं भदई मकई तथा इस सन्दर्भ में धान फसल हेतु बीमा इकाई ग्राम पंचायत तथा मकई फसल हेतु बीमा इकाई राजस्व अंचल निर्धारित किए गए हैं।
  2. मृतकों में पारू मझौलिया की नरगिस ( 9), मनियारी सिलौत का अमरजीत (8), मुशहरी रजवाड़ा का साहिल (3), भदई हथौड़ी निवासी सुलेखा कुमारी(6), दरही पट्टी मीनापुर निवासी जीनत खातून (2) व छितरी सरैया निवासी मो आलम (6) शामिल हैं.
  3. वाराणसी में पातालपुरी मठ के महन्त बालक दास जी , शिव हनुमान मंदिर भदई के महन्त सर्वनदास जी महाराज, श्री रामजानकी मंदिर बुनानाला के महन्त अवध किशोर दास जी महाराज को उनके आठ शिष्यों के साथ गिरफ्तार किया गया।
  4. भदई अमावस्या में शनिवार की सुबह ट्रैक्टरों में सवार होकर भृगधाम भिटौरा घाट गंगा स्नान करने जा रहे सवा सौ श्रद्धालुओं से भरे दो ट्रक्टरों की ट्राली सड़क हादसे में पलट जाने से पांच दर्जन से अधिक श्रद्धालु दबकर जख्मी हो गये।
  5. अगर हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब जूट की खेती भी मड़ुआ , जौ , काउन , अल्हुआ , भदई धान ( कभी कोशी अंचल में इन फसलों का खूब उत्पादन होता था ) की तरह कोशी का किस्सा बन जाएगी।
  6. अगर हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब जूट की खेती भी मड़ुआ , जौ , काउन , अल्हुआ , भदई धान ( कभी कोशी अंचल में इन फसलों का खूब उत्पादन होता था ) की तरह कोशी का किस्सा बन जाएगी।
  7. ग्रामीण बताते हैं कि भदई मांझी ( 40 वर्ष ) अपने घर में सोये हुए थे कि हाथी ने उसे खींचकर बाहर पटक दिया और पैर से कुचल कर मार दिया , जबकि बिगा मांझी को भागने के दौरान हाथी ने पकड़ा और पटक कर पैर से रौंद दिया।
  8. फ़रवरी १९९० , पृष्ठ-३१.) आज भी महेंदर मिश्र के साथी समकालीन बुजुर्ग आ भिखारी ठाकुर के जीवित समाजी लोग बताते हैं कि “पूरी बरसात भिखारी ठाकुर महेंद्र मिश्र के दरवाजे पर बिताते थे तथा महेंद्र मिश्र ने भिखारी ठाकुर को झाल बजाना सिखाया ।”(भिखारी ठाकुर के समाजी भदई राम,शिवलाल बारी और शिवनाथ बारी से साक्षात्कार ।
  9. जैसे इनके पुरखे लोग पूर्वकाल में बाणों से विद्ध होने पर भी रण में पीछे को पांव नहीं देते थे ऐसे ही जब इनके पावं में भदई कुश का डाभा तीव्र चुभ जाता है तो ये उस असह्य व्यथा को सहकर आगे ही को बढ़ते हैं और धरती को सुधारने में तो इनकी प्रत्यक्ष महिमा है कि जिस खेत में दो तीन रात ये गरुड़वंशी नृपति छागमयी सेना को लेकर निवास करते हैं उस खेत के किसान को ऋद्धि सिद्धि से पूर्ण कर देते हैं।
  10. मेरे कानों में आज भी एक ओर हथिया नक्षत्र की मूसलाधार वर्षा में , अपने दुर्लभ पोथी-पतरों पर छाता रखकर , स् वयं पानी में भीगकर काँपते हुए अपने वृ ( पुरोहित पिता के रोम-रोम से निकला ‘ कखन हरब दुख मोर , हे भोलानाथ ( हे शिव , कब तुम मेरा दुःख हरोगे ? ) गूँज रहा है तो दूसरी ओर आश् विन मास की तीखी धूप में हल जोतते हुए भदई का वह चिल् लाकर गाना याद आता है- ‘ कुंज भवन सँय निकसलि रे , रोकल गिरधारी।
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