भाव प्रकाश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भाव प्रकाश एवं रस रत्न समुच्चय के अनुसार माणिक्य कषाय और मधुर रस प्रधान द्रव्य है।
- सन्दर्भ ग्रन्थ : चरक संहिता सुश्रुत संहिता वाग्भट्ट भाव प्रकाश चिकित्सा चन्द्रोदय यह भी देखें आयुर्वेद बाहरी कडियां
- खजूर , पिण्ड खजूर और गोस्तन खजूर (छुहारा) ये तीन भेद भाव प्रकाश में बताए गए हैं।
- खजूर , पिण्ड खजूर और गोस्तन खजूर (छुहारा) ये तीन भेद भाव प्रकाश में बताए गए हैं।
- इससे सिद्ध होता है कि वार्ताओं की रचना ' भाव प्रकाश ' से पहले हो चुकी थी।
- इससे सिद्ध होता है कि वार्ताओं की रचना ' भाव प्रकाश ' से पहले हो चुकी थी।
- आयुर्वेद के प्रसिध्द ग्रंथ ‘ भाव प्रकाश ' में भी धनिये के अनेक प्रयोग बताये गये हैं।
- भाव प्रकाश निघण्टु के अनुसार बाह्य प्रयोग करने पर हरिद्रा त्वचा दोष का निवारण करती है ।
- भाव प्रकाश के अनुसार यह मेधावर्धक , मानस रोगहन अपस्मारहन ( एण्टीइपीलैप्टिक ) भूतघ्न तथा विषहन है ।
- आचार्य भावमिश्र ( १५००-१६००) द्वारा रचित भाव प्रकाश निघंटु में इसे पद्मबीजाभ एवं पानीय फल कहा गया है ।