भुच्च का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गंवैया भुच्च जो अभी गांव चला आ रहा है , जिसे कपड़ा पहनने की भी तमीज नहीं , जिसे यह भी नहीं मालूम की धोती कुरते पर चप्पल पहनी जाती है या पम् प.
- बघनख और बम लेकर गली-गली घूमते सांप्रदायिकों और भारत पर जाल फेंकती मल्टीनेशल कंपनियों के इस हत्यारे समय में इस पिछड़े , भुच्च और दीन इलाके की मूर्छित विचार परंपरा को सिर्फ वही जगा सकते हैं।
- बघनख और बम लेकर गली-गली घूमते सांप्रदायिकों और भारत पर जाल फेंकती मल्टीनेशल कंपनियों के इस हत्यारे समय में इस पिछड़े , भुच्च और दीन इलाके की मूर्छित विचार परंपरा को सिर्फ वही जगा सकते हैं।
- देवघर में मेरे यहाँ एक दूधवाला आता था . ..बुच्चन, बड़ी बड़ी मूंछें और रंग में तो अपनी भैंस के साथ खरा कोम्पीटिशन कर सकता था...काला भुच्च, दूध के बर्तन में दूध ढारता था तो गजब का कंट्रास्ट उत्पन्न होता था।
- उनके यह भुनभुनाने पर कि फ्रिज का पानी उनका गला खराब कर देगा मजाक उड़ाया गया कि कौन सा इंडियन ऑइडल बनना है उन्हें और सलाह भी दी गई कि बाबू के पार्टनर लोगों के सामने ऐसी देहाती भुच्च की बात न कह दें।
- यानी कुल मिलाकर आप उसे दहकान ही कहते , गँवइया भुच्च जो अभी गाँव से चला आ रहा है , जिसे कपड़े पहनने की भी तमीज़ नहीं , आप शायद उन्हें प्रेमचन्द कहकर पहचानने से भी इन्कार कर दें , लेकिन तब भी वहीं प्रेमचन्द था , क्योंकि वही हिन्दुस्तान है।
- कौनो घनघोर मजबूरी में घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में सुनसान सड़क पर एकदम अकेले कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न
- कौनो घनघोर मजबूरी में घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में सुनसान सड़क पर एकदम अकेले कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न...
- कौनो घनघोर मजबूरी में , घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में , सुनसान सड़कवा पर एकदम अकेले , कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो , झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय , जो न आज तलक कहीं देखे , न सुने ...
- कौनो घनघोर मजबूरी में , घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में, सुनसान सड़कवा पर एकदम अकेले, कहीं चलल जाय रहे हों,सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न आज तलक कहीं देखे, न सुने...हाँ, भूत परेतन का खिस्सा कहानी में ऐसा विराट वर्णन खूबे सुने रहै और जमकर ओका ठट्ठा भी उडाये रहै ...तब ऊ सिचुएसन मा सबसे पाहिले मुंह में का आएगा???? बड़का से बड़का तोप नास्तिक भी आपै आप बड़बडावे लगैगा ...