भूमिजा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भूमिजा हो गई थी भूमि पुत्री थीँ सीता , किँतु अभी उसका परीक्षा काल नहीँ बीता - स्त्री की सुरक्षा तथा सम्मान पूरे समाज को करना निताँत आवश्यक है मैँ तकनीकि मामलोँ मेँ निपट अनाडी हूँ - क्या कोई सुझा सकता है कि, इन सारी विवादीत
- कृतियां : :कविता-संग्रह - अपने खेत में, युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, तालाब की मछलियां, खिचड़ी विपल्व देखा हमने, हजार-हजार बाहों वाली, पुरानी जूतियों का कोरस, तुमने कहा था, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, इस गुब्बारे की छाया में, ओम मंत्र, भूल जाओ पुराने सपने, रत्नगर्भ, भूमिजा, मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा।
- संत श्याम जी पराशर की पुस्तक- ' रामायण का ऐतिहासिक महत्त्व ' , डॉ . रघुवीर शरण मित्र की पुस्तक- ' भूमिजा ' तथा कविवर श्याम नारायण पाण्डेय के खंड काव्य- ' जय हनुमान ' से प्रेरित इस विश्लेषण में राम या वेदों का अपमान कहाँ किया गया है जैसा की डॉ . श्याम गुप्ता जी झूठा इल्जाम लगा रहे हैं .
- संत श्याम जी पराशर की पुस्तक- ' रामायण का ऐतिहासिक महत्त्व ' , डॉ . रघुवीर शरण मित्र की पुस्तक- ' भूमिजा ' तथा कविवर श्याम नारायण पाण्डेय के खंड काव्य- ' जय हनुमान ' से प्रेरित इस विश्लेषण में राम या वेदों का अपमान कहाँ किया गया है जैसा की डॉ . श्याम गुप्ता जी झूठा इल्जाम लगा रहे हैं .
- माथुर भाई आपका सीता का विद्रोह लेख बहुत जानकारी देने वाला है | तीस साल पहले भूमिजा काव्य पढ़ा था किन्तु तब इस तरह समझ में नहीं आया अब फिर पढूंगा लेकिन आपके लेख में परमाणु विस्फोट वाली बात असंगत है | कृपया jalesmeerut . blogspot . com पर ' राम का अंतर्द्वंद ' कविता देखें | - अमरनाथ ' मधुर '
- ४ ० वर्ष पूर्व भूमिजा पढ़ाते हुए प्रो . डॉ . विष्णु शरण इंदु जी की व्याख्या भाग ६ के अंतिम छंद की आज भी याद है उसे मैंने तो असंगत इसलिए नहीं माना था क्योंकि संत श्याम जी पराशर ने भी ' रामायण का ऐतिहासिक महत्त्व ' में वैसा ही बताया था और मैंने पहले ही पढ़ रखा था . - ” टपक पड़ा सीता का आंसू , धरा फट गयी तत्क्षण .
- वास्तविकता तो यह है कि प्रारम्भिक रामकथाओं में इस विषय से सम्बन्धित तथ्यों का अभाव था , अतः बाद के साहित्य में अनेक प्रकार की एक-दूसरी से सर्वथा भिन्न कथाएँ ( जनकात्मजा , भूमिजा , दशरथात्मजा , रावणात्मजा ) प्रचलित हो गईं ; पर लेखक ने इस विवाद की कोई चर्चा करने के बजाय एक लोककथा की चर्चा की है जिसमें बताया गया है कि रावण ( यहाँ उसका नाम रावुला है ) और मंदोदरी संतानहीन हैं , अतः दुखी हैं।
- वास्तविकता तो यह है कि प्रारम्भिक रामकथाओं में इस विषय से सम्बन्धित तथ्यों का अभाव था , अतः बाद के साहित्य में अनेक प्रकार की एक-दूसरी से सर्वथा भिन्न कथाएँ ( जनकात्मजा , भूमिजा , दशरथात्मजा , रावणात्मजा ) प्रचलित हो गईं ; पर लेखक ने इस विवाद की कोई चर्चा करने के बजाय एक लोककथा की चर्चा की है जिसमें बताया गया है कि रावण ( यहाँ उसका नाम रावुला है ) और मंदोदरी संतानहीन हैं , अतः दुखी हैं।