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मध्य सप्तक का अर्थ

मध्य सप्तक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. स्थायी के गीत कीस्वर-रचना अधिकतर मन्द्र तथा मध्य सप्तक में होती है तथा अन्तरा के गीत की स्वररचना अधिकतर मध्य और तार सप्तक के स्वरों में हुआ करती है .
  2. गांधार और निषाद दोनो स्वर कोमल है लेकिन गायक अक्सर दोनों निषाद लेते हैं , शुद्ध निषाद का प्रयोग मध्य सप्तक में होता है और वह भी आरोह में।
  3. [ कृपया उद्धरण जोड़ें ] कॉन्ट्राबास , डबल कॉन्ट्राबास एवं हाइपरबास कुछ अन्य विरले बांसुरी रूप हैं जिन्हें मध्य सप्तक से क्रमशः दो, तीन और चार सप्तक नीचे स्वरबद्ध किया गया है.
  4. शेष बची मध्य सप्तक की 11 कुंजियों की आवृत्तियाँ मुकर्रर करने का एक सरल , तार्किक और अत्यन्त उपयोगी तरीका अगल-बगल की कुंजियों के बीच आवृत्तियों का समान अनुपात रखना होता है ।
  5. अभी समस्या यह है कि मुझे यहाँ यह बताया जा रहा है कि मैं आज तक जिसे मध्य सप्तक का ' सा ' सुनता आ रहा हू वह दरअसल सा नहीं, कोमल ' ध' है ।
  6. स्वर · शुद्ध स्वर · शुद्ध तीव्र स्वर · ठाट · सप्तक · नाद · मध्य सप्तक · मन्द्र सप्तक · तार सप्तक · राग · राग यमन · खमाज · क़व्वाली · ख़याल · गीत · पदम
  7. भौतिकी के संनाद - विश्लेषण ( Harmonics ) से हमें ज्ञात होता है कि 13 वीं कुंजी ( अगले तार सप्तक की प्रथम कुंजी ) की आवृत्ति मध्य सप्तक की प्रथम स्वर की आवृत्ति से दुगुनी होनी चाहिए।
  8. राग भूपाली राग परिचय- थाट- कल्याण वर्जित स्वर- म , नि जाति- औडव-औडव वादी- ग संवादी-ध गायन समय- रात्रि का प्रथम प्रहर इस राग का चलन मुख्यत: मन्द्र और मध्य सप्तक के प्रतह्म हिस्से में होती है (पूर्वांग प्रधान राग)।
  9. बांस की तुलना में आल्टो बांसुरी के अंश अधिक लिखे जाते हैं . [कृपया उद्धरण जोड़ें] कॉन्ट्राबास, डबल कॉन्ट्राबास एवं हाइपरबास कुछ अन्य विरले बांसुरी रूप हैं जिन्हें मध्य सप्तक से क्रमशः दो, तीन और चार सप्तक नीचे स्वरबद्ध किया गया है.
  10. अलंकारों की रचना में- प्रत्येक अलकार मे मध्य सप्तक के { सा} से तार सप्तक के {सां } तक आरोही वर्ण होता है जैसे- “सारेग , रेगम,गमप,मपध,पधनी,धनीसां” व तार सप्तक के {सां} से मध्य सप्तक के { सा} तक अवरोही वर्ण होता है जैसे- “सांनिध,निधप,धपम,पमग,मगरे,गरेसा” ।
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