माँड़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पचने में तब भारी थे अब हलके हो गए ; तब देर से पकते थे , अब फौरन पक जाते हैं , तब माँड़ को छोड़ते न थे , अब माँड़ से उनका कोई ताल्लुक ही नहीं ऐसा प्रतीत होता है ! यह बात क्यों और कैसे हो गई ! मोटी बुद्धि में तो यह बात समाती नहीं।
- पचने में तब भारी थे अब हलके हो गए ; तब देर से पकते थे , अब फौरन पक जाते हैं , तब माँड़ को छोड़ते न थे , अब माँड़ से उनका कोई ताल्लुक ही नहीं ऐसा प्रतीत होता है ! यह बात क्यों और कैसे हो गई ! मोटी बुद्धि में तो यह बात समाती नहीं।
- 10 आध सेर चाउर पका बुढ़वा ने खाया , बुढ़िया ने खाया लेंगरा न खाया, बौकी ने खाया माँड़ पिया बकरी ने, कुतवा ने खाया चवर-चवर आध सेर चाउर नहीं पका बुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी कुतवा भूखा, बकरिया भूखी जो गया था चाउर लाने लौट कर नहीं आया, आजतक ! 0
- अब उनकी सीधी कमर कभी नहीं देख सकूंगा कविता में भी नहीं माँड़ पीते-पीते , मकई खाते-खाते पिता सन्नाटे से भर गये केवल जगमगाते हुए चावल के साथ पिता के शब्दों को भी ले गया ज़मींदार ! मैं कवि हूँ ? क्या मैं सचमुच कवि हूँ ? या महज़ काग़ज काटने वाला एक चाक़ू हूँ या अख़बार से ढँका हुआ मैदान हूँ मैं कोई ? शंख के बाहर बारूद के हथियार खड़े हैं .
- 10 आध सेर चाउर आध सेर चाउर पका बुढ़वा ने खाया , बुढ़िया ने खाया लेंगरा न खाया, बौकी ने खाया माँड़ पिया बकरी ने, कुतवा ने खाया चवर-चवर आध सेर चाउर नहीं पका बुढ़वा ने नहीं खाया, बुढ़िया ने नहीं खाया रह गया लेंगरा भूखा, बौकी भूखी कुतवा भूखा, बकरिया भूखी जो गया था चाउर लाने लौट कर नहीं आया, आजतक ! 0 डॉ . अरविन्द श्रीवास्तव जन्म : 2 जनवरी 1964 शिक्षा : एम.ए.(इतिहास/राजनीति