मानव बल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब सेहत पर होने वाले खर्च का हिसाब लगा कर दुनिया के जहीन यह समझा रहे हंै कि स्वास्थ्य गया , तो बहुत कुछ गया , और सेहत , विकास की चिंताओं में अहम् बन चुकी है , खूबसूरती का बाज़ार मानव बल की सेहत , सौन्दर्य प्रसाधनों की कीमत पर बिक्री कर की तरह वसूल ले रहे हंै।
- मानव बल के बाद दूसरा नम्बर भौतिक बल का आता है , बिना मानव बल के भौतिक बल का कोई महत्व नही है , भौतिक बल के अन्दर घर द्वार सम्पत्ति सोना चांदी रुपया पैसा आदि आते है , भौतिक बल भी बारह प्रकार का होता है , और इन बारह प्रकार के भौतिक बलों को पहिचानने के बाद मानव बल और भी परिपूर्ण हो जाता है।
- मानव बल के बाद दूसरा नम्बर भौतिक बल का आता है , बिना मानव बल के भौतिक बल का कोई महत्व नही है , भौतिक बल के अन्दर घर द्वार सम्पत्ति सोना चांदी रुपया पैसा आदि आते है , भौतिक बल भी बारह प्रकार का होता है , और इन बारह प्रकार के भौतिक बलों को पहिचानने के बाद मानव बल और भी परिपूर्ण हो जाता है।
- मानव बल के बाद दूसरा नम्बर भौतिक बल का आता है , बिना मानव बल के भौतिक बल का कोई महत्व नही है , भौतिक बल के अन्दर घर द्वार सम्पत्ति सोना चांदी रुपया पैसा आदि आते है , भौतिक बल भी बारह प्रकार का होता है , और इन बारह प्रकार के भौतिक बलों को पहिचानने के बाद मानव बल और भी परिपूर्ण हो जाता है।
- मानव बल और भौतिक बलों के अलावा जो सबसे आवश्यक बल है वह दैव बल कहलाता है , बिना दैव बल के न तो मानव बल का कोई आस्तित्व है और न ही भौतिक बल की कोई कीमत है , मानव बल और भौतिक बल समय पर फ़ेल हो सकता है लेकिन दैव बल इन दोनो बलों के समाप्त होने के बाद भी अपनी शक्ति से बचाकर ला सकता है।
- मानव बल और भौतिक बलों के अलावा जो सबसे आवश्यक बल है वह दैव बल कहलाता है , बिना दैव बल के न तो मानव बल का कोई आस्तित्व है और न ही भौतिक बल की कोई कीमत है , मानव बल और भौतिक बल समय पर फ़ेल हो सकता है लेकिन दैव बल इन दोनो बलों के समाप्त होने के बाद भी अपनी शक्ति से बचाकर ला सकता है।
- मानव बल और भौतिक बलों के अलावा जो सबसे आवश्यक बल है वह दैव बल कहलाता है , बिना दैव बल के न तो मानव बल का कोई आस्तित्व है और न ही भौतिक बल की कोई कीमत है , मानव बल और भौतिक बल समय पर फ़ेल हो सकता है लेकिन दैव बल इन दोनो बलों के समाप्त होने के बाद भी अपनी शक्ति से बचाकर ला सकता है।
- मानव बल और भौतिक बलों के अलावा जो सबसे आवश्यक बल है वह दैव बल कहलाता है , बिना दैव बल के न तो मानव बल का कोई आस्तित्व है और न ही भौतिक बल की कोई कीमत है , मानव बल और भौतिक बल समय पर फ़ेल हो सकता है लेकिन दैव बल इन दोनो बलों के समाप्त होने के बाद भी अपनी शक्ति से बचाकर ला सकता है।