मिरगी रोग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मिरगी का दौरा समाप्त करने हेतु गधे के दाएं पैर के नाखून को गरम करके व छल्ला बनाकर हाथ में पहनने से मिरगी रोग चला जाता है।
- सिंह लग्न : लग्नेश सूर्य और मंगल अष्टम भाव में हों , चंद्र लग्न में राहु और केतु से दृष्ट हो , तो मिरगी रोग होता हैं।
- तुला लग्न में गुरु-शुक्र की युति सातवें हो और दोनों अस्त हों , मंगल व चन्द्र छाया ग्रह के प्रभाव में हो तो मिरगी रोग होता है।
- विवादों में घिरे रहने वाले अभिनेता चार्ली शीन ने मिरगी रोग के इलाज के संदर्भ में चलाए अभियान के लिए 10 , 000 डॉलर की राशि दान की है।
- वृष लग्न हो सूर्य पहले भाव में , चन्द्र-केतु आठवें हो एवं लग्नेश शुक्र या राहु से युत हो तो जातक को मिरगी रोग से पीड़ित होता है।
- मकर लग्न : लग्नेश राहु से दृष्ट एवं युक्त हो , सूर्य-चंद्र लग्न में हों , शनि -मंगल अष्टम भाव में हों , तो मिरगी रोग होता है।
- रुढिबद्ध धारणा के मुताबिक कम बुद्धिवाला गंवार और संभावित रूप से नुकसानदेह प्रकृति वाले लोग ( मिरगी रोग से ग्रस्त राक्षसी प्रकृति वाले) एक समय सामाजिक व्यवहार में प्रमुख थे.
- मिथुन लग्न : चंद्र पूर्ण अस्त लग्न में हो , मंगल दशम भाव में पूर्वभाद्रपद नक्षत्र में रहे और राहु द्वादश भाव में होने से मिरगी रोग होता है।
- वात की मिरगी : यदि रोगी के मुंह से झाग आये , दांत भिंच जाएं , कंपकपी छूटे , सांस तेजी से चले , तो वात की मिरगी रोग समझें।
- कर्क लग्न हो मंगल , सूर्य चन्द्र पहले भाव में हों या अष्टम भाव में हों व अस्त् हों व छाया ग्रह से दृष्ट हों तो मिरगी रोग होता है।