मुट्ठा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बहुत दिनों के बाद जब यह कागज का मुट्ठा मेरे यहां से चोरी हो गया तब मैं घबड़ाया और डरा कि समय पर वह चोरी गया हुआ मुट्ठा मुझी को मुजरिम बना देगा , और आखिर ऐसा ही हुआ।
- मुझे गुमान था अर्जुनसिंह ने जो मुट्ठा ले लिया था उसी से मुझे नुकसान पहुंचा मगर अब मालूम हुआ कि ऐसा नहीं हुआ , अर्जुनसिंह ने न तो वह किसी को दिया और न उससे मुझे कुछ नुकसान पहुंचा।
- आखिर ऐसा ही हुआ अर्थात् दोनों भाइयों के खूब जोर करने पर वे दोनों मुट्ठे खिंचकर बाहर निकल आये और इसके साथ ही उस चूबतरे की एक तरफ की दीवार ( जिधर मुट्ठा नहीं था ) पल्ले की तरह खुल गई।
- ( कुछ लोग मास व चावल नहीं ले जाते हैं) उसे ससम्मान पिठ्याँ लगा व दक्षिणा देकर पठाया जाता है दही की ठेकी पीले वस्त्र मैं लपेटकर व कच्ची हल्दी तथा एक मुट्ठा हरी साग (सब्जी) व दूब के साथ भेजी जाती है.
- असल बात यह है कि उन चीठियों की नकल के मैंने दो मुट्ठे तैयार किये थे , एक तो हिफाजत के लिए अपने मकान में रख छोड़ा था और दूसरा मुट्ठा समय पर काम लेने के लिए हरदम अपने बटुए में रखता था।
- भूत - इसीलिए कि वह बेगम की गुप्त सहेली नन्हों से गहरी मुहब्बत रखती है और इसी सबब से वह कागज का मुट्ठा जो मैंने अपने फायदे के लिए तैयार किया था गायब हो के जैपाल के हाथ लग गया और उससे मुझे नुकसान पहुंचा।
- उस लकड़ी के तख्ते में जो पेंच पर जड़ा हुआ था और जिसे हटाकर हम लोग उस पार चले गये थे दूसरी तरफ पीतल का एक मुट्ठा लगा हुआ था , अन्ना ने उसे पकड़कर खेंचा और वह दरवाजा जहां का तहां खट से बैठ गया।
- भूत - ( महाराज की तरफ देखकर ) मैंने जिस दिन अपना किस्सा सरकार को सुनाया था उस दिन अर्ज किया था कि जब वह कागज का मुट्ठा मेरे पास से चोरी गया तो मुझे बड़ा ही तरद्दुद हुआ और उसके बहुत दिनों के बाद राजा गोपालसिंह के मरने की खबर उड़ी 1 इत्यादि।
- अपना पाँव मारो यह नहाने का ठंडा पानी है और पीने का , और हम ने उनको उनका कुनबा अता किया और उनके साथ उनके बराबर और भी अपनी रहमत खास्सा के सबब और अहले अक्ल के याद गार रहने के सबब से और तुम हाथ में एक मुट्ठा सीकों का लो और इस से मरो और क़सम न तोड़ो .
- उस पीतल वाली संदूकड़ी से तो हम लोगों को कोई मतलब ही नहीं , हां बाकी रह गया चीठियों वाला मुट्ठा जिसके पढ़ने से भूतनाथ लक्ष्मीदेवी का कसूरवार मालूम होता है , सो उसका जवाब भूतनाथ काफी तौर पर दे देगा और साबित कर देगा कि वे चीठियां उसके हाथ की लिखी हुई होने पर भी यह कसूरवार नहीं है और वास्तव में वह बलभद्रसिंह का दोस्त है दुश्मन नहीं।