मुण्डक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ये हैं - ईश , केन , माण्डूक्य , मुण्डक , तैत्तिरीय , ऐतरेय , प्रश्न , छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद।
- ईश , केन , कठ , मुण्डक , माण्डूक्य , ऐतरेय , तैत्तिरीय , श्वेताश्वतर , प्रश्न , छांदोग्य एवं वृहदारण्यक।
- ईश , केन , कठ , मुण्डक , माण्डूक्य , ऐतरेय , तैत्तिरीय , श्वेताश्वतर , प्रश्न , छांदोग्य एवं वृहदारण्यक।
- ईष , केन, कठ, प्रश्, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक के अतिरिक्त श्वेताश्वतर और कौशीतकि को भी महत्त्व दिया गया हैं।
- अधर्श्चाध्व च प्रसृतं ब्रह्मैवेदं विर्श्वामदं वरिष्ठान॥ ' ' ( मुण्डक २ - २ ) अर्थात ' वह अमृत स्वरूप परब्रह्म ही सामने है ।।
- मुण्डक उपनिषद - Mundak Upnishad प्रथममुण्डके प्रथमः खण्डः - Pratham Mundake Pratham Khand ॐ ब्रह्मा देवानां प्रथमः संबभूव विश्वस्य कर्ता भुवनस्य गोप्ता ।
- तथा इसके बाद मुण्डक उपनिषद ( 1.1 .8 ) के मन्त्र ‘ तपसाचीयते ब्रह्म ' के अनुसार तप से ब्रह्माण्ड का विस्तार होता है।
- मुण्डक उपनिषद में ( 1.1 .8 . ‘ तपसा चीयते ब्रह्माण्ड ' ) कहा है कि ‘ तप ' से ब्रह्म का प्रसार होता है।
- शंकर ने ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छांदोग्य , बृहद्-आरण्यक और श्वेताश्वतर-इस ग्यारह उपनिषदों का भाष्य किया है।
- शंकर ने ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छांदोग्य , बृहद्-आरण्यक और श्वेताश्वतर-इस ग्यारह उपनिषदों का भाष्य किया है।