मूत्रकृच्छ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यदि रोगी मूत्रकृच्छ रोग से पीड़ित है और पेशाब करने में कष्ट होने के साथ कमर में दर्द भी रहता है।
- ऐसे लक्षणों वाले मूत्रकृच्छ रोग में रोगी को कैन्थरिस औषधि की 6 या 30 शक्ति का उपयोग करना हितकारी होता है।
- पीड़ा रहित , अधिक मात्रा में, बारंबार, समय समय पर रक्तमेह तथा रक्तक्षीणता, मूत्रकृच्छ और अकृष्य मूत्राशय प्रदाह इसके मुख्य लक्षण हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार यह कफ , पित्त , कुष्ठ , दाह , मूत्रकृच्छ , वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है।
- आयुर्वेद के अनुसार यह कफ , पित्त , कुष्ठ , दाह , मूत्रकृच्छ , वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है।
- इससे प्रमेह , मूत्रकृच्छ , गठिया , मधुमेह , धातु विकार , स्वप्नदोष , शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है।
- इससे प्रमेह , मूत्रकृच्छ , गठिया , मधुमेह , धातु विकार , स्वप्नदोष , शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है।
- मूत्रकृच्छ : दूब की जड़ को पीसकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ ( पेशाब मे जलन ) का रोग नष्ट हो जाता है।
- मूत्रकृच्छ : दूब की जड़ को पीसकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ ( पेशाब मे जलन ) का रोग नष्ट हो जाता है।
- 8 - 10 नग मुनक्कों को बासी पानी में पीसकर चटनी की तरह पानी के साथ लेने से मूत्रकृच्छ में लाभ होता है।