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मूर्द्धन्य का अर्थ

मूर्द्धन्य अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इतनी कविताओं का लिखना उनकी प्रतिभा का विस्फोट तो है ही , साथ ही इनकी सृजनात्मक ऊर्जा की भी दाद देनी होगी।'' ये बातें मूर्द्धन्य आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की तीन काव्य-कृतियों ‘अस्ति' (कविता संग्रह), ‘अभिनव पांडव' (महाकाव्य) एवं ‘राधामाधव' (प्रबंध काव्य) के लोकार्पण के अवसर पर शुक्रवार दिनांक 17 जून, 2011 को हिन्दी भवन, दिल्ली में आयोजित ‘समय, समाज, मिथक: उद्भ्रांत का कवि-कर्म' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
  2. इतनी कविताओं का लिखना उनकी प्रतिभा का विस्फोट तो है ही , साथ ही इनकी सर्जनात्मक ऊर्जा की भी दाद देनी होगी।'' ये बातें मूर्द्धन्य आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की तीन काव्य-कृतियों ‘अस्ति' (कविता संग्रह), ‘अभिनव पांडव' (महाकाव्य) एवं ‘राधामाधव' (प्रबंध काव्य) के लोकार्पण के अवसर पर शुक्रवार दिनांक १७ जून, २०११ को हिन्दी भवन, दिल्ली में आयोजित ‘समय, समाज, मिथक: उद्भ्रांत का कवि-कर्म' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
  3. ' ' ये बातें मूर्द्धन्य आलोचक डॉ . नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की तीन काव्य-कृतियों ‘ अस्ति ' ( कविता संग्रह ) , ‘ अभिनव पांडव ' ( महाकाव्य ) एवं ‘ राधामाधव ' ( प्रबंध काव्य ) के लोकार्पण के अवसर पर शुक्रवार दिनांक 17 जून , 2011 को हिन्दी भवन , दिल्ली में आयोजित ‘ समय , समाज , मिथक : उद्भ्रांत का कवि-कर्म ' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
  4. इतनी कविताओं का लिखना उनकी प्रतिभा का विस्फोट है रवीन्द्र्नाथ मे भी ऎसा ही विस्फॊट हुआ था , साथ ही इनमें रचनाकार की सर्जनात्मक ऊर्जा की भी दाद देनी होगी।” ये बातें मूर्द्धन्य आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की तीन काव्य-कृतियों (कविता संग्रह), (महाकाव्य) एवं (प्रबंध काव्य) के लोकार्पण के अवसर पर शुक्रवार दिनांक 17 जून, 2011 को हिन्दी भवन, दिल्ली में आयोजित 'समय, समाज, मिथक: उद्भ्रांत का कवि-कर्म' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
  5. इतनी कविताओं का लिखना उनकी प्रतिभा का विस्फोट है रवीन्द्र्नाथ मे भी ऎसा ही विस्फॊट हुआ था , साथ ही इनमें रचनाकार की सर्जनात्मक ऊर्जा की भी दाद देनी होगी।'' ये बातें मूर्द्धन्य आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की तीन काव्य-कृतियों ‘अस्ति' (कविता संग्रह), ‘अभिनव पांडव' (महाकाव्य) एवं ‘राधामाधव' (प्रबंध काव्य) के लोकार्पण के अवसर पर शुक्रवार दिनांक 17 जून, 2011 को हिन्दी भवन, दिल्ली में आयोजित ‘समय, समाज, मिथक: उद्भ्रांत का कवि-कर्म' विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहीं।
  6. रति सक्सेना की कवितायें - परिचय : डा.रति सक्सेना हिंदी की उन थोड़े से मूर्द्धन्य कवयित्रियों में से हैं जिनकी काव्य-रचना प्रक्रिया से गुजरते हुए मुझे यह भासमान होता है कि उन्होंने कविता की स्थापित क्लासिकी और वर्जनाओं पर अपना ध्यान ज्यादा केन्द्रित नहीं किया, बल्कि खुद की अपनी क्लासिकी विकसित की, अपने नये मुहावरे विकसित किये और समकालीन कविता में बिना लाग-लपेट के प्रवेश किया, जिस कारण हिंदी समालोचकों की दृष्टि उधर गयी नहीं, या कहें कि जब-तब वक्रदृष्टि ही रही।
  7. डा . रति सक्सेना हिंदी की उन थोड़े से मूर्द्धन्य कवयित्रियों में से हैं जिनकी काव्य-रचना प्रक्रिया से गुजरते हुए मुझे यह भासमान होता है कि उन्होंने कविता की स्थापित क्लासिकी और वर्जनाओं पर अपना ध्यान ज्यादा केन्द्रित नहीं किया , बल्कि खुद की अपनी क्लासिकी विकसित की , अपने नये मुहावरे विकसित किये और समकालीन कविता में बि ना लाग-लपेट के प्रवेश किया , जिस कारण हिंदी समालोचकों की दृष्टि उधर गयी नहीं , या कहें कि जब-तब वक्रदृष्टि ही रही।
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