मृगलोचनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हे कवि केशव ! यदि तुम आज के युग में जिये होते , तो चंद्रबदन , मृगलोचनी तुम्हें भी बाबा कहने के बजाय अंकल ही कहतीं और तुम जैसे जवाँदिल कवि को चचा-भतीजी में और अधिक न सही तो गुड-फ्रेंडशिप स्थापित कर लेने का सुअवसर अवश्य प्राप्त हो जाता।
- हे कवि केशव ! यदि तुम आज के युग में जिये होते , तो चंद्रबदन , मृगलोचनी तुम्हें भी बाबा कहने के बजाय अंकल ही कहतीं और तुम जैसे जवाँदिल कवि को चचा-भतीजी में और अधिक न सही तो गुड-फ्रेंडशिप स्थापित कर लेने का सुअवसर अवश्य प्राप्त हो जाता।
- अज्ञेय ने लिखा है , ‘कालिदास की पीड़ा थी, अरसिकों को कवित्त निवेदन न करना पड़ जा जाए; केशवदास की पीड़ा थी, च्रद्रबदनि मृगलोचनी बाबा कहि-कहि न चली जाए; अज्ञेय की पीड़ा है, मैं क्या जानता था यह गति होगी कि हिंदी विभागों में हिंदी के अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाऊंगा!'
- जब दूर से राम ने चित्रकूट के गगनचुम्बी शिखर को देखा तो वे सीता से बोले , ” हे मृगलोचनी ! तनिक इन फूले हुये पलाशों को देखो जो जलते हुये अंगारों की भाँति सम्पूर्ण वन को जगमगा रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है मानो फूलों की माला लेकर हमारा स्वागत कर रहे हैं।
- युगानुसार नियति-और युगानुसार दु : शंकाएँ ! कालिदास का दु : स्वप्न था कि ' कहीं अरसिकों को कवित्व निवेदन करना ' न पड़ जाये ; केशवदास चिन्तित थे कि ' चन्द्रवदनि मृगलोचनी बाबा कहि-कहि ' न चली जाएँ ; ' अज्ञेय ' का संकट कि ' मैं क्या जानता था कि यह गति होगी कि विश्व-विद्यालयों में हिन्दी ' प्राध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाऊँगा ! '