यशद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ११९ कर्मचारियों को यशद सुझाव योजना के अन्तर्गत सुरक्षा एवं अग्निशमन दल को नकद पुरस्कार व प्रद्गास्ति पत्र एवं द्रौक्षणिक क्षेत्र में उल्लेखनिय सेवाओं के लिये जिंक विद्यालय के शि क्षको , छात्रों को भी सम्मानित किया गया।
- ११९ कर्मचारियों को यशद सुझाव योजना के अन्तर्गत सुरक्षा एवं अग्निशमन दल को नकद पुरस्कार व प्रद्गास्ति पत्र एवं द्रौक्षणिक क्षेत्र में उल्लेखनिय सेवाओं के लिये जिंक विद्यालय के शि क्षको , छात्रों को भी सम्मानित किया गया।
- Fri , 20 Jul 2007 10:39:41 GMT http://hindi.webdunia.com/religion/astrology/ratna/0704/21/1070421141_1.htm मुख्य रत्न http://hindi.webdunia.com/religion/astrology/ratna/0704/21/1070421140_1.htm हीरा, मोती, माणिक्य, पन्ना, नीलम, पुखराज, मूँगा (प्रवाल), गोमेद, वैदूर्य, सुलेमानी पत्थर, वैक्रान्त, यशद, फीरोजा Fri, 20 Jul 2007 10:40:48 GMT http://hindi.webdunia.com/religion/astrology/ratna/0704/21/1070421140_1.htm रत्न परिचय http://hindi.webdunia.com/religion/astrology/ratna/0704/21/1070421138_1.htm रत्न प्रकृति प्रदत्त एक मूल्यवान निधि है।
- कुछ सारणियाँ भी इस संबंध में तैयार की गई हैं , जिनमें प्रतिदीप्ति पदार्थो, जैसे ऐं्थ्राासीन क्रिस्टल, ट्रांसस्टिल्बीन क्रिस्टल, जाइलीन विलयन, पोलीविनाइल टोलूइन विलयन, सोलिस्टाइरीन, सोडियम आयोडाइड, लिथियम आयोडाइड, यशद सल्फाइड आदि के गुणों, घनत्व, अधिकतम उत्सर्जन, क्षयकाल इत्यादि के गुणों का वर्णन मिलता है।
- देशी कर्पूर 20 ग्राम , जीरा सफेद , सुरमा काला , मुर्दासंख , पपरिया कत्था और यशद का भस्म ( राख ) 10 - 10 ग्राम की मात्रा में लेकर इन सब को मिलाकर महीन चूर्ण बना लें फिर गाय का घी 280 ग्राम को कांसे की थाली में इसमें बनायें हुए चूर्ण को मिलाकर मलहम बना लें।
- उदाहरण के लिए कितनी भी असाध्य आमवात , गठिया या सियाटिका व्याधि हो क्रमशः वृद्धि क्रम में एक निश्चित गुणक में स्वर्ण , वंग , यशद , ताम्र , रौप्य , अभ्रक एवं वज्र मणि रत्नों के भष्म को रास्ना , गिलोय एवं बच के रस के साथ तात्कालिक ग्रह के सम्पूर्ण भोग काल तक सेवन किया जाय तो रोग शत प्रतिशत निर्मूल हो जाता है .
- उदाहरण के लिए कितनी भी असाध्य आमवात , गठिया या सियाटिका व्याधि हो क्रमशः वृद्धि क्रम में एक निश्चित गुणक में स्वर्ण , वंग , यशद , ताम्र , रौप्य , अभ्रक एवं वज्र मणि रत्नों के भष्म को रास्ना , गिलोय एवं बच के रस के साथ तात्कालिक ग्रह के सम्पूर्ण भोग काल तक सेवन किया जाय तो रोग शत प्रतिशत निर्मूल हो जाता है .
- यह एक विषाणु का संक्रमण है जो कि असाध्य तो हरगिज नहीं है तो लीजिये प्रस्तुत है आपकी समस्या का समाधान- १ . स्थानीय लेप ( local application ) के लिये गाय का घी २ ० ग्राम + सहजन ( drum stick ) या मुनगा के पत्तों की चटनी २ ० ग्राम + गंधक १ ० ग्राम + यशद भस्म ५ ग्राम मिला कर खूब घोंट कर मलहम जैसा बना लीजिये और दिन में कम से कम तीन बार लगाइये।