युद्ध विद्या का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्राचीन वैदिक इतिहास को पढने से पता चलता हैं की आर्य लोग चरित्र में ऊँचे , ज्ञान में निपुण , युद्ध विद्या में कुशल होते थे .
- बात उन दिनों की है , जब चंद्रगुप्त मौर्य अभी भारत का सम्राट नहीं बना था और अपने गुरु चाणक्य की देख-रेख में वाहीक प्रदेश में युद्ध विद्या का अभ्यास कर रहा था .
- आप युद्ध में हो और क्षमाशील हों , कृपालुता की बातें करें-तो हो सकता हैं कि युद्ध विद्या के कई पंडित आपको युद्ध के अयोग्य घोषित करके शिविर में पूर्ण विश्राम के लिए भेज दें।
- शब्दकोष के अनुसार “ राजपुरोहित ” शब्द का अर्थ इस प्रकार है - राजपुरोहित -पुरातन काल में क्षत्रिय राजाओं सम्राटो को अस्त्र-शस्त्र युद्ध विद्या , राजनीति , धर्मनीति एवं चारित्रिक राज्य , समाज की शिक्षा देने वाली पुरातन वीर जाति है।
- इसके बाद जब कौरव-पाण्डवों को युद्ध विद्या में कुशल करके पुराना बदला चुकाने के लिए उन्हें द्रुपद को पकड़ने को भेजा हैं और अर्जुन उसे परास्त करके पकड़ लाये हैं , तब द्रोणाचार्य ने शान्तिपर्व के 140 वें अध्याय में कहा हैं कि :
- इसके बाद जब कौरव-पांडवों को युद्ध विद्या में कुशल कर के पुराना बदला चुकाने के लिए उन्हें द्रुपद को पकड़ने को भेजा है और अर्जुन उसे परास्त कर के पकड़ लाए हैं , तब द्रोणाचार्य ने शांतिपर्व के 140 वें अध्याय में कहा है कि :
- परन्तु परमेश्वर के प्रति सही सोच रखने वाले दाऊद ने , गोलियत की तुलना में कद और उम्र में बहुत छोटे होने और युद्ध विद्या में निपुण न होने के बावजूद भी , केवल परमेश्वर पर अपने विश्वास की सामर्थ से गोलियत को परास्त किया और इस्राइलियों को एक बड़ी विजय दिलवाई।
- इसमें कृषि विद्या , पशुपालन विज्ञान , उद्योगपतिओं की उद्यम विद्या , व्यापारियों-व्यावसायियों की व्यापार-वाणिज्य विद्या , शूरवीरों की युद्ध विद्या , प्रेम-श्रृंगार विद्या , अकाल और दुर्भिक्ष से पड़ित मरुभूमि की कारुणिक गाथा , सामाजिक जीवन तथा सांस्कृतिक जीवन नीति , निर्गुण और सगुण भक्ति की आराधना विद्या , राजस्थानी भाषा में अपनी सशक्त एवं हृदयग्राही अभिव्यक्ति उजागर करती रही है इसका साहित्य विपुल एवं विराट है।
- समस्त महाऋषियों , मुनियों में से सर्वश्रेष्ठ , पराक्रमी , उच्च प्रगाढ़ राजनीतिज्ञ , उच्च चरित्रवान , प्रतिज्ञ , निष्ठावान , त्यागी , दूरदर्शी , दयावान , प्रशासन , निपुण , प्रजापालक , सामाजिक व्यवस्थापक , अस्त्र- शस्त्र , युद्ध विद्या , रणकौशल , धनुर्विधा , वेदों व धार्मिक विद्याओं का ज्ञाता इत्यादि सर्व विषयों के विशिष्ट ज्ञाता को ही - “ राजपुरोहित '' अथवा ‘‘ राजगुरू पुरोहित ” चुना जाता था ।
- समस्त महाऋषियों , मुनियों में से सर्वश्रेष्ठ , पराक्रमी , उच्च प्रगाढ़ राजनीतिज्ञ , उच्च चरित्रवान , प्रतिज्ञ , निष्ठावान , त्यागी , दूरदर्शी , दयावान , प्रशासन , निपुण , प्रजापालक , सामाजिक व्यवस्थापक , अस्त्र- शस्त्र , युद्ध विद्या , रणकौशल , धनुर्विधा , वेदों व धार्मिक विद्याओं का ज्ञाता इत्यादि सर्व विषयों के विशिष्ट ज्ञाता को ही - “ राजपुरोहित '' अथवा ‘‘ राजगुरू पुरोहित ” चुना जाता था ।