रज़ामंद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- तुम तो मुझे पसंद हो क्या मैं तुम्हें पसंद हूँ क्या तुम रज़ामंद हो मैं तो रज़ामंद हूँ बोलो चुप क्यों हो ल : मैं तुमसे क्या बोलूँ तक़दीर कैसी है वो कैसा होगा ...
- अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स और फ़्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी की सोमवार को पैरिस में बातचीत हुई और दोनों नेता इस बात पर बिल्कुल रज़ामंद दिखे कि ईरान के ख़िलाफ़ और मज़बूत प्रतिबंध लगाने की ज़रूरत है .
- बाज़ तो बाहर निकलते ही नहीं थे , जो निकलने पर रज़ामंद होते थे, उनको संभालना मुश्किल हो जाता था, क्योंकि उन्हें फाड़कर अपने तन से जुदा कर देते-कोई गालियाँ बक रहा है... कोई गा रहा है... कुछ आपस में झगड़ रहे हैं...
- बाज़ तो बाहर निकलते ही नहीं थे , जो निकलने पर रज़ामंद होते थे, उनको संभालना मुश्किल हो जाता था, क्योंकि उन्हें फाड़कर अपने तन से जुदा कर देते-कोई गालियाँ बक रहा है... कोई गा रहा है... कुछ आपस में झगड़ रहे हैं...
- बाज़ तो बाहर निकलते ही नहीं थे , जो निकलने पर रज़ामंद होते थे, उनको संभालना मुश्किल हो जाता था, क्योंकि उन्हें फाड़कर अपने तन से जुदा कर देते-कोई गालियाँ बक रहा है... कोई गा रहा है... कुछ आपस में झगड़ रहे हैं...
- इमर्जेन्सी में वाजपेयी के साथ जेल में रहे और बाद में उनकी सरकार में उप प्रधानमंत्री बने आडवाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर वह जान जाते थे कि किसी बात पर मैं रज़ामंद नहीं हूं तो वह उस पर कभी आगे नही बढ़ते थे।
- ठीक है कन्टेस्टेंट अपनी मर्ज़ी से आते हैं . ...लेकिन उन्हें सच के नाम पर बरगलाता कौन है....हो सकता है कि कन्टेस्टेंट की रज़ामंदी के बाद ही उसकी प्राइवेट ज़िंदगी से संबधित सवाल पुछते हो...कंटेस्टेंट और आयोजक दोनों रज़ामंद हो भी तो भी इस प्राइवेट लाइफ को हमसे साझा करने की इजाज़त किसने दी....?
- जनुअरी में हेरोयिन के साथ फोटो खिंचवाई , फेब्रुअरी में शादी की पहली अन्नीवेरसारी मनाई, मार्च में बनी नन्ही पारूल की मासी, अप्रैल में पति बन गए पुणे से बंगलोर वासी, मई में किया थीसिस गाइड को रज़ामंद, जून में हो गई ग़लती से बाथरूम में बंद, जुलाई में नौकरी से रिश्ता [...]
- पागलों को लारियों से निकालना और उनको दूसरे अफ़सरों के हवाले करना बड़ा कठिन काम था ; बाज़ तो बाहर निकलते ही नहीं थे , जो निकलने पर रज़ामंद होते थे , उनको संभालना मुश्किल हो जाता था , क्योंकि उन्हें फाड़कर अपने तन से जुदा कर देते-कोई गालियाँ बक रहा है ...
- बाद में अमेरिकी विद्वान नोम चोमस्की की पुस्तक ' मैन्युफैक्चरिंग दी कांसेंट ' में पढ़ कर मैंने जाना कि सरकार का असली उद्देश्य तो होता है जनता को अपने किसी कदम के लिए रज़ामंद कराना , और जब अनेक समाचार पत्र और चैनल एक ही बात बोलने लगते हैं तो जनता को उस बात पर ज़्यादा यकीन होने लगता है।