रसवती का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परन्तु मैं क्या ? उत्तर स्पष्ट है-एक भांड, एक मृत्पात्र. मैंमाटी, मैं मृत्तिका, मैं गंधवती माटी जो शब्दहोन होकर भी शब्द बोलती है गात्रवीणाबनकर; जो रुपहीन होकर भी बहरूपी बनती है देह बनकर; जो रसहीन होकर भी रसवती बनतीहै हृदय बनकर; और सबसे बड़कर आश्चर्य यह कि जो उचित् होकर भी चिन्मय का आधान बनतीहै जीवात्मा बनकर.
- जब तक यह पृथ्वी रसवती है और जब तक सूर्य की प्रदक्षिणा में लग्न है , तब तक आकाश में उमड़ते रहेंगे बादल मंडल बाँध कर ; जीवन ही जीवन बरसा करेगा देशों में, दिशाओं में ; दौड़ेगा प्रवाह इस ओर उस ओर चारों ओर ; नयन देखेंगे जीवन के अंकुरों को उठकर अभिवादन करते प्रभात काल का।
- जब तक यह पृथ्वी रसवती है और जब तक सूर्य की प्रदक्षिणा में लग्न है , तब तक आकाश में उमड़ते रहेंगे बादल मंडल बाँध कर ; जीवन ही जीवन बरसा करेगा देशों में , दिशाओं में ; दौड़ेगा प्रवाह इस ओर उस ओर चारों ओर ; नयन देखेंगे जीवन के अंकुरों को उठकर अभिवादन करते प्रभात काल का।
- हमारा ध्यान सुनहरे रंग की ओर जाता है उसके पहले ही मंद-मंद बहता हुआ पवन जलपृष्ठ पर वीचिमाला उत्पन्न करके हमसे कहता है , 'सुनिये, यह समयोचित स्रोत!' सामने की टेकरी ने सिर ऊंचा न किया होता तो यह रसवती पृथ्वी कहां पूरी होती है, और निःशब्द आकाश कहां शुरू होता है, यह जानना किसी पंडित के लिए भी कठिन हो जाता।