राज्य-सभा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अब रही बात जसवंत जी की तो भैया राज्य-सभा में विपक्ष के नेता की कुर्सी तो पहले ही जा चुकी है , व्हिस्की की बोतल पर ख़ुद जसवंत जी लोकसभा में प्रणब बाबू से शिकायत कर चुके हैं कि हज़ार रुपए से कम की नहीं आती .
- भारत की गरीबी को विदेशों में बेचकर बड़े-बड़े अवार्ड्स लाने के बारे में राज्य-सभा सदस्य नरगिस दत्त द्वारा सत्यजीत रे पर लगाए गए आक्षेप का संदर्भ लेते हुए चित्रा मुद्गल ने कहा कि अलका सिन्हा की कहानी ‘ चांदनी चौक की जबानी ' इस तथ्य को झुठलाती हुई एक ग्लोबल कहानी है .
- पक्ष और विपक्ष में बहस वर्षों से जारी है और आगे भी जारी रहेगी , जब तक कि विदेशी व्यापार आ न जांय और उनका प्रभाव देख न लिया जा य.क ेवल लोक -सभा और राज्य-सभा में विपक्ष का … प्रस्ताव गिर जाने से इस बहस पर विराम नहीं लगने वाला है .
- कौन सी पार्टी आत्मघाती कदम ( अपनी पार्टी को तहस-नहस करने और अपनी सरकार की छीछालेदार करवाना) उठाना चाहेगी जो उक्त ब्लागर को राज्य-सभा सदस्य बनवाएगी ? क्योंकि उक्त ब्लागर तो अपनी ही संतानों का भी सगा नहीं है जो 'राष्ट्र और समाज' की सेवा क्या खाकर करेगा?आत्म-भंजक पार्टी से मै भी उक्त ब्लागर को राज्य सभा मे भिजवाने की सिफ़ारिश करता हूँ ।
- कौन सी पार्टी आत्मघाती कदम ( अपनी पार्टी को तहस-नहस करने और अपनी सरकार की छीछालेदार करवाना) उठाना चाहेगी जो उक्त ब्लागर को राज्य-सभा सदस्य बनवाएगी ? क्योंकि उक्त ब्लागर तो अपनी ही संतानों का भी सगा नहीं है जो 'राष्ट्र और समाज' की सेवा क्या खाकर करेगा?देखें यह पत्राचार-(आत्म-भंजक पार्टी से मै भी उक्त ब्लागर को राज्य सभा मे भिजवाने की सिफ़ारिश करता हूँ )-
- कौन सी पार्टी आत्मघाती कदम ( अपनी पार्टी को तहस-नहस करने और अपनी सरकार की छीछालेदार करवाना ) उठाना चाहेगी जो उक्त ब्लागर को राज्य-सभा सदस्य बनवाएगी ? क्योंकि उक्त ब्लागर तो अपनी ही संतानों का भी सगा नहीं है जो ' राष्ट्र और समाज ' की सेवा क्या खाकर करेगा ? - ( आत्म-भंजक पार्टी से मै भी उक्त ब्लागर को राज्य सभा मे भिजवाने की सिफ़ारिश करता हूँ ) -
- केवल सवर्ण होने के नाते , योग्यता पर किया जाने वाला प्रहार भला कैसे सही हो सकता है ? सबसे दुःख का विषय यह है कि … देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों की अनदेखी करते हुए , बिना उन पर विचार किये हुए , और उसके अनुरूप कार्यवाही किये बिना केवल राज्य-सभा और लोक-सभा में , संशोधन विधेयक को , संख्या के बल पर पारित करा कर क्या सरकार सर्वोच्च न्यायालय को छोटा दिखाना चाहती है ?
- उन्हें ‘ छात्र-छात्रा ‘ , ‘ माता-पिता ‘ , ‘ विश्वविद्यालय ‘ , ‘ न्यायालय ‘ , ‘ यातायात ‘ , ‘ संसद ‘ , ‘ राज्य-सभा ‘ , ‘ विधान-सभा ‘ , ‘ नगर पालिका ‘ , ‘ अध्यापक ‘ , ‘ वकील ‘ , ‘ बाजार ‘ , ‘ रविवार ‘ , ‘ सोमवार ‘ , ‘ मंगलवार ‘ - यहां तक कि नहाते-धोते , खाते-पीते और कार्यालयों में काम करते हुए , जो शब्द बोले जाते हैं , वे कठिन लगते हैं।