राहजन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हम तो ये सोच रहे हैं कि जिस तरह से पाकिस्तान के हाई कमिश्नर , डेप्युटी हाई कमिश्नर होते हैं , वैसे ही इंडिया में उठाईगीर , राहजन , जेबकट अपने हाई कमिश्नर नियुक्त कर दें।
- ‘ हिन्दू ' - चोर , डाकू , लूटेरे , राहजन , काला , गुलाम आदि आदि जो कि सदियो की गुलामी में तो ठीक था अब हमें अपने मूल रूप ‘ आर्य ' में आना चाहिए।
- ‘ हिन्दू ' - चोर , डाकू , लूटेरे , राहजन , काला , गुलाम आदि आदि जो कि सदियो की गुलामी में तो ठीक था अब हमें अपने मूल रूप ‘ आर्य ' में आना चाहिए।
- धार्मिक स्थलों , मनोरंजन केन्द्रों , पार्कों , रेलवे स्टेशन , बस स्टेशन , स्टापेज , टैम्पो स्टैण्ड , बैंकों के इर्द-गिर्द भी ऐसे राहजन पाकेटअ मार अपनी कारगुजारी से लोगों की जेबें ढीली कर दे रहे हैं।
- नई तहजीब की जिस राह पर वह बड़े जोश और ख़रोश से चल पड़ी- बल्कि दौड़ पड़ी है- उस पर कितने कांटे , कितने विषैले और हिंसक जीव-जंतु, कितने गड्ढे, कितने दलदल, कितने खतरे, कितने लूटेरे, कितने राहजन और कितने धूर्त मौजूद हैं.
- जहाँ तक बात नरेन्द्र मोदी की है तो फिलहाल उनके लिए अभी सिर्फ इतना ही कह सकता हूँ कि अभी तो हैं इम्तिहान बाकी कि आप रहबर हैं या राहजन हैं , जम्हूरियत का चिराग हैं या इसी सियासत के एक फन हैं .
- नई तहजीब की जिस राह पर वह बड़े जोश और ख़रोश से चल पड़ी- बल्कि दौड़ पड़ी है- उस पर कितने कांटे , कितने विषैले और हिंसक जीव-जंतु , कितने गड्ढे , कितने दलदल , कितने खतरे , कितने लूटेरे , कितने राहजन और कितने धूर्त मौजूद हैं .
- जी नहीं अपवाद नहीं है क्योकि इसके जैसे और शब्द भी हैं जो मात्रिक दुरूहता के कारण दो मात्रिक वज्न में प्रयोग होते हैं और उनमें “ शहर-शह्र ” वाला विवाद नहीं है जैसे - खुशबुओं - खुशबूओं दीवाना - दिवाना राहबर - रहबर राहजन - रहजन पर - प यहाँ - याँ वहाँ - वाँ
- न्यायपालिका के पीठासीन जज अपनी सम्पत्ति का खुलासा करने से कतरा रहे हों , इस पर नियंत्रण लगाने के लिए विधायिका बांझ नजर आए और किसी भी सार्थक कानून को जन्म न दे सके, नौकरशाही जन उत्पीड़क हो, पुलिस कातिलों का गिरोह और राहजन बन चुकी हो तब एक नए समाज, नई राजनीति, नई संस्कृति का सृजन करना ही होगा।
- पहले तो राहजन हथियारों की दम पर लूट लेते थे पर इस नई सभ्यता में हिंसा वर्जित है क्योंकि आदमी की बुद्धि को तमाम तरह की लालच देकर और काल्पनिक सुख दिखाकर भ्रमित किया जा सकता है और मन के स्वामी होने की वजह से मनुष्य कहलाने वाला जीव बिना किसी रस्सी और जंजीर के पशु बनकर जिस आदमी के पास काल्पनिक रस्सी है उसके पीछे चला जाता है।