रूपोश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उम्मी मुहम्मद अपने क़ुरआन और हदीस में बवजेह उम्मियत हज़ार झूट गढा हो मगर उसमे उनके खिलाफ़ सदाक़त दर पर्दा दबे पाँव रूपोश बैठी नज़र आ ही जाती है .
- उम्मी मुहम्मद अपने क़ुरआन और हदीस में बवजेह उम्मियत हज़ार झूट गढा हो मगर उसमे उनके खिलाफ़ सदाक़त दर पर्दा दबे पाँव रूपोश बैठी नज़र आ ही जाती है .
- बस्ती पे उदासी छाने लगी , मेलों की बहारें ख़त्म हुईं आमों की लचकती शाखों से झूलों की कतारें ख़त्म हुईं धूल उड़ने लगी बाज़ारों में, भूख उगने लगी खलियानों में हर चीज़ दुकानों से उठकर, रूपोश हुई तहखानों में
- अभी इक दौर रूपोश समझौते का है जो यूँ ही चलता रहेगा वो कुछ-कुछ काम करने का बहाना करके मेरी आज़ादियों पर यूँ ही पहरे बिठाता ही रहेगा और मैं भी कुछ-कुछ काम करके उसकी बेख़बर निगरानी में रहने का बहाना करता रहूँगा
- मैं ऐसे कितने नौजवानों को जानता हूँ जो मजलिसे अहबाब ( मित्रों की सभा ) में सोशलिस्ट और कम्यूनिस्ट सब कुछ हैं मगर जब जवाँमर्दी दिखाने का मौका आता है तो हरमसरा ( अन्तःपुर ) में रूपोश ( छुप ) हो जाते हैं।
- इस्लाम ने अरबी तहज़ीब ओ तमद्दुन , उसका इतिहास और उसकी विरासत का खून करके दफ़्न कर दिया है, जो अपनी नई तहजीब बदले में मुसलमानों को दी वह उनकी हालत पर अयाँ है मगर कुदरत की बख्सी हुई सदाक़तें कैसे रूपोश हो सकती हैं?
- इक़बाल-चकबस्त-अकबर-जोश वग़ैरह ने अगरचे ग़ज़ले भी कहीं लेकिन उनकी गरजती-चमकती नज़्मों के आगे ख़ुद उनकी ग़ज़लें ही नहीं बल्कि पूरी उर्दू ग़ज़ल लड़खड़ा गयी और ऐसा लगा कि ग़ज़ल का अहद ख़त्म हो गया और ग़ज़ल वाक़ई अपनी तंगदामनी का शिकार होकर रूपोश हो गयी .
- इस्लाम ने अरबी तहज़ीब ओ तमद्दुन , उसका इतिहास और उसकी विरासत का खून करके दफ़्न कर दिया है , जो अपनी नई तहजीब बदले में मुसलमानों को दी वह उनकी हालत पर अयाँ है मगर कुदरत की बख्सी हुई सदाक़तें कैसे रूपोश हो सकती हैं ?
- मेरे इन्केशाफत ( उदघोषण ) में कहीं भी कोई ऐसा नुक्ता - ऐ - रूपोश आप पकड़ पा राहे हैं जो आप के खिलाफ हो ? हम समझते हैं कि मेरी बातों से आप परेशान होते होंगे और दुखी भी . मेरी इमान गोई आपको आपरेट कर रही है , ज़ाहिर है आपरेशन में कुछ तकलीफ तो होती है .
- कुल मिलाकर हाइफ़न की कहानियाँ ( काली बर्फ़ , दराज़ , कहाँ नहीं है मौलश्री ! धूप के धब्बे , बाबू जी की थाली , मोज़ेक , डर के पौधे , नीम , रूपोश और हाइफ़न ) दस्तावेज़ हैं , स्त्री होने के नाते , साथ ही जड़ों से उखड़ने की टीस समेटे समुदाय का हिस्सा होने के नाते बसे उस दर्द का जो दृष्टि देता है और मन को सीमाओं के संकुचन में नहीं विस्तार में आस्था रखने की राह दिखाता है।