वन्ध्या का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गर्भस्थापन के लिएः ऋतुकाल में यदि वन्ध्या स्त्री पुष्य नक्षत्र में लाकर रखे हुए वटशुंग ( बड़ के कोंपलों) के चूर्ण को जल के साथ सेवन करे तो उसे अवश्य गर्भधारण होता है।
- जैसे बालू से तेल नहीं निकल सकता , वन्ध्या स्त्री का बेटा संतति पैदा नहीं कर सकता, आकाश को कोई बगल में बाँध नहीं सकता, ऐसे ही आत्मा के ज्ञान के सिवाय सारे बंधनों से कोई नहीं छूट सकता।
- जैसे बालू से तेल नहीं निकल सकता , वन्ध्या स्त्री का बेटा संतति पैदा नहीं कर सकता, आकाश को कोई बगल में बाँध नहीं सकता, ऐसे ही आत्मा के ज्ञान के सिवाय सारे बंधनों से कोई नहीं छूट सकता।
- जैसे बालू से तेल नहीं निकल सकता , वन्ध्या स्त्री का बेटा संतति पैदा नहीं कर सकता , आकाश को कोई बगल में बाँध नहीं सकता , ऐसे ही आत्मा के ज्ञान के सिवाय सारे बंधनों से कोई नहीं छूट सकता।
- जैसे बालू से तेल नहीं निकल सकता , वन्ध्या स्त्री का बेटा संतति पैदा नहीं कर सकता , आकाश को कोई बगल में बाँध नहीं सकता , ऐसे ही आत्मा के ज्ञान के सिवाय सारे बंधनों से कोई नहीं छूट सकता।
- जहां इस प्रकार का पार्थक्य सम्भव नहीं है वहांभाषा अपनी ओर से पार्थक्य का निर्माण कर लेती है , जैसे `वन्ध्यापुत्र 'यहां अस्तित्वविहीन पुत्र का वन्ध्या के साथ कोई सम्बन्ध संभव नहीं है, फिर भी भाषा दोनों में सम्बन्ध की भ्रान्ति उत्पन्न करती है.
- यदि ‘ कला कला के लिए ' का अर्थ है , निरे ‘ सौन्दर्य ' की खोज-किन्हीं विशेष सिद्धान्तों के द्वारा एक रसायनिक सौन्दर्य की उपलब्धि , तब वह कला और कलाकार को कोई भी सुख नहीं दे सकती-न आत्मदान का न आत्मबोध का , वह कला वन्ध्या है।
- राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है , “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति कामभाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” शास्त्रों के अनुसार वन्ध्या, रजस्वला, अकामा आदि स्त्री को स्पर्श करने का निषेष है अतः अपने प्रति अकामा सीता को स्पर्श न करके रावण मर्यादा का ही आचरण करता है।
- राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है , “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति कामभाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” शास्त्रों के अनुसार वन्ध्या, रजस्वला, अकामा आदि स्त्री को स्पर्श करने का निषेष है अतः अपने प्रति अकामा सीता को स्पर्श न करके रावण मर्यादा का ही आचरण करता है।
- राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है , “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति काम भाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” शास्त्रों के अनुसार वन्ध्या, रजस्वला, अकामा आदि स्त्री को स्पर्श करने का निषेध है अतः अपने प्रति अकामा सीता को स्पर्श न करके रावण मर्यादा का ही आचरण करता है।