वर्जनीय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पश्चिमी विद्वान मोरिस सी . किंघली के यह शब्द बहुत कुछ कह जाते है , ” यदि पृथ्वी पर स्वर्ग का साम्राज्य स्थापित करना है तो पहले कदम के रूप में माँस भोजन को सर्वथा वर्जनीय करना होगा , क्योंकि माँसाहार अहिंसक समाज की रचना में सबसे बडी बाधा है।
- लेखक को यह कब समझ में आयेगा कि नक्सलियों द्वारा निहत्थे आदिवासियों की हत्या , नवजात बच्चों का कत्ल , जवान महिलाओं का यौन शोषण , उन्हें बरगला कर माओवादी बनाना भी एक वही हिंसा है जो गांधीजी के अनुसार अमानवीय है और इस नाते वर्जनीय व निंदनीय भी ।
- यह ऐसा ही जैसे अपनी व्यापारिक कंपनी के दूध की बिक्री बढ़ने के लिए विज्ञापनों के द्वारा इस भ्रम को खड़ा करना कि प्रसूता स्त्री या माता के स्तन का दूध वर्जनीय एवं बहिष्कार के योग्य है और कंपनी का बोतली दूध या डिब्बाबंद दूध ही दूध है , जो शिशु को दिया जाना चाहिये।
- नए जीवन के लिए नवीन संकल्पों के साथ नव वर्ष में प्रवेश करने के लिए मन और तन को साफ सुथरा व सुविचारों से आलोकित करें तब ही नव वर्ष मनाने का औचित्य है वरना भोग-विलास मात्र के लिए नव वर्ष के स्वागत में जुट कर नए वर्ष की शुचिता को दूषित न करें , इसके लिए वर्ष भर में कोई भी दिन वर्जनीय नहीं है।
- धीरोदात्त उज्जवल धवल चरित्र के स्वामी , मनसा बाचा -कर्मणा और सामूहिक नेत्र्त्वाकारी व्यक्तित्व के धनि व्यक्ति ही जनता जनार्दन का विश्वाश हासिल कर सकते हैं चापलूसों दुवारा लिखी पटकथाओं के संवाद बोलकर लोक प्रसिद्धि भले ही मिल जाये किन्तु धैर्य और बुद्धि चातुर्य की परीक्षा तो संघर्षों के दरम्यान बार-बार हुआ करती है तब मौन वृत से काम नहीं चलेगा और अनर्गल बाचालता तो नितांत वर्जनीय है .
- संध्या के समय भोजन नहीं करना चाहिए , भोजन के समय बोलना नहीं चाहिए , भोजन से पहले हाथ-पैर धोने चाहिए , पवित्र स्थान में पूर्वाभिमुख होकर भोजन करना चाहिए , तामस भोजन सर्वदा वर्जनीय है - जैसी प्रतिदिन की बातें हमें संस्काररूप में ज्ञात हो जाती थीं किंतु अंग्रेजी भाषा के कुप्रभाव ने तथा भौतिक सुखों की बढ़ती चाह ने हमारी युवा पीढ़ी को संस्कारहीन बना दिया है।
- “जब स्वयं विधायिका ही वर्गीकरण कर देती है तो समता के मूल अधिकार ( के उल्लंघन) संबंधी कोई गंभीर प्रश्न उठने की सम्भावना नहीं होती (जैसे की कुछ पूर्वाग्रही लोगों द्वारा निहित स्वार्थवश उठाये जाते रहे हैं), क्योंकि….विधायिका विशेष वर्गों की समस्याओं, आवश्यकताओं तथा उलझनों को ध्यान में रख कर ही उनके विशेष विधि बनाती है, असंवैधानिक या वर्जनीय विभेद के उद्देश्य से नहीं| उदाहरनार्थ केवल हिन्दुओं (हिन्दू आदिवासियों को छोड़कर) के लिए ‘हिन्दू विवाह अधिनियम' बनाने का उद्देश्य हिन्दुओं (जिसमें में भी हिन्दू आदिवासियों पर ये लागू नहीं होता है)