वर्ण विपर्यय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वर्ण विपर्यय यानी किसी शब्द के दो वर्णों का स्थान परिवर्तन जैसे लखनऊ का नखलऊ हो जाना।
- सिंह शब्द की व्युत्पत्ति हिंस् धातु से मानी जाती है जिससे वर्ण विपर्यय के चलते सिंह शब्द बना।
- वः ( अर्थात वह् ) शब्द से ही वर्ण विपर्यय के जरिये हिन्दी का हवा शब्द बना है।
- सिं ह शब्द की व्युत्पत्ति हिंस् धातु से मानी जाती है जिससे वर्ण विपर्यय के चलते सिंह शब्द बना।
- संस्कृत जिह्वा का अवेस्ता में वर्ण विपर्यय के जरिये हिज्वा hizva , हिजुआ hizua- और हिजु hizū- जैसे रूप हुए।
- वर्ण विपर्यय के चलते हिन्दी में पहले यह खुरदा हुआ और फिर बना खुदरा जिसमें खुला , बिखरा, छुट्टा जैसे भाव शामिल हुए।
- शुक्र का समरुप अवेस्ता में सुख्र होता है और फिर वर्ण विपर्यय के ज़रिये फ़ारसी में यह सुर्ख़ हो जाता है ।
- शुक्र का समरुप अवेस्ता में सुख्र होता है और फिर वर्ण विपर्यय के ज़रिये फ़ारसी में यह सुर्ख़ हो जाता है ।
- पश्चिम की ओर गतिशील गण समाजों में स्मर् की स ध्वनि का लोप हुआ और वर्ण विपर्यय के जरिए मेमोरी शब्द बना।
- पश्चिम की ओर गतिशील गण समाजों में स्मर् की स ध्वनि का लोप हुआ और वर्ण विपर्यय के जरिए मेमोरी शब्द बना।