वर्ण-भेद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि जाति-भेद वर्ण-भेद तथा अस्पृश्यता भेद के उनमूलन सम्बधी ज़्यादातर उनके विचार केवल उपदेशात्मक थे व्यवहारिक नहीं थे।
- अर्थात सातवीं और दशवीं शताब्दी के बीच में प्राचीन वर्ण-भेद जाता रहा और स्थिति तथा कार्य के अनुसार एक नवीन वर्ण प्रचलित हो गया।
- दलितों पर अत्याचार और वर्ण-भेद का व्यवहार , महिलाओं पर अत्याचार और लिंग-भेद का व्यवहार, आदिवासियों का विस्थापन और उनका उत्पीड़न निरंतर जारी ही नहीं रहा, बढ़ता गया।
- नस्ल भेद , वर्ण-भेद “एपार्थिड”, कुण्ठा से ग्रस्त, अस्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति कौन सा जघन्य कार्य नहीं कर सकता यह इस कथा को पढ़कर जाना जा सकता है।
- नस्ल भेद , वर्ण-भेद “एपार्थिड”, कुण्ठा से ग्रस्त, अस्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति कौन सा जघन्य कार्य नहीं कर सकता यह इस कथा को पढ़कर जाना जा सकता है।
- लिंग-भेद और वर्ण-भेद से उबर आने वाले लोग ही वास्तव में शोभायमान होते हैं , श्री के धनी होते हैं , कर्म के मूर्त रूप होते हैं।
- तीसरी बात यह कि ये जो वर्ण-भेद हुए वह स्वभाव तथा क्रिया ( काम ) की विभिन्नता एवं शरीर के रंग ( वर्ण ) की विभिन्नता से ही।
- नस्ल भेद , वर्ण-भेद, “एपार्थिड'', कुण्ठा से ग्रस्त, अस्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति कौन सा जघन्य कार्य नहीं कर सकता यह इस कथा को पढ़ कर जाना जा सकता है।
- नस्ल भेद , वर्ण-भेद, “एपार्थिड'', कुण्ठा से ग्रस्त, अस्वस्थ मानसिकता का व्यक्ति कौन सा जघन्य कार्य नहीं कर सकता यह इस कथा को पढ़ कर जाना जा सकता है।
- इसीलिए एक ओर संसार का काम , दूसरी अरे संसार के काम की परिणति , दोनों को मानकर ही हमारे समाज में वर्ण-भेद की अर्थात् वृत्ति-भेद की स्थापना हुई।