वशित्व का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भूतों के स्थूलरूप पर संयम करने से पहली पाँच , स्वरूप में संयम करने से प्राकाम्य ; सूक्ष्म विषय में संयम करने से वशित्व ; अन्वय में संयम करने से ईशितृत्व तथा अर्थवत्व में संयम करने से यत्रकामावसायित्व सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
- ( अष्टसिद्धि नवनिधि के दाता असबर दीन जानकी माता ) परन्तु अष्टमुखी रूद्राक्ष धारण करने वाले को भी शनै : शनै : ये अष्ट सिद्धियां , अणिमा , महिमा , लघिमा , गरिमा , प्राप्ति प्राकाम्य , ईशित्व और वशित्व प्राप्त होने लगती हैं।
- ९ - सिद्धिरात्रि देवी - नौवां दिन माँ को समर्पित होता है सिद्धिरात्रि के रूप में ये सारी सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं ये मार्कंड पूरण में वर्णित है अनिमा , महिमा , गरिमा लधिमा , प्राप्ति , प्राकर्न्य , ईशित्व - वशित्व के रूप में .
- ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार १ ८ प्रकार की प्राप्तियां बताई गयी हैं जो हैं अनिमा , महिमा , गरिमा , लधिमा , प्राप्ति , प्राकाम्य , ईशित्व , वशित्व , सर्वाकमल , सधित्य , सर्वग्यनात्व , दुर्श्रवना , पर्कायाप्रवेशन , वाकासिद्धि , कल्पवृशात्व , श्रृष्टि , सम्हार्कारान्सामार्थ्य , अमरत्व , सर्वन्ययाकत्व , भावना और सिद्धि .
- ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार १ ८ प्रकार की प्राप्तियां बताई गयी हैं जो हैं अनिमा , महिमा , गरिमा , लधिमा , प्राप्ति , प्राकाम्य , ईशित्व , वशित्व , सर्वाकमल , सधित्य , सर्वग्यनात्व , दुर्श्रवना , पर्कायाप्रवेशन , वाकासिद्धि , कल्पवृशात्व , श्रृष्टि , सम्हार्कारान्सामार्थ्य , अमरत्व , सर्वन्ययाकत्व , भावना और सिद्धि .
- भूपुर चक्र में उपर्युक्त तेजोमिथुन की अणिमादि दस सिद्धियों ( अणिमा लघिमा महिमा ईशित्व वशित्व प्राकाम्य भुक्ति इच्छा प्राप्ति और सर्वकाम ) ब्राह्मी ( ब्राह्मी माहेशी कौमारी वैष्णवी वाराही ऐन्द्री चामुण्डा महालक्ष्मी ) आदि अष्ट लोकमातायें तथा मतान्तर से मुद्राओं के रूप में ( मुद्रायें दस है त्रिखण्डा सर्वसंक्षोभिणी द्राविणी सर्वाकर्षिणी सर्ववशंकरी उन्मादिनी महांकशा खेचरी बीज और योनि ) पूजा की जाती है , इसको त्रैलोक्य मोहन चक्र कहते हैं।