वातरोग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यह श्वांस , खांसी , उल्टी , अरुचि , वातरोग तथा दर्द आदि को भी ठीक करता है।
- वातरोग , श्वांस रोग तथा खांसी में इसके तीन पत्तों को कुलथी दाल के साथ पकाकर खाने लाभ मिलता है।
- अधिक कार्य करना पड़ता है , जिससे गठिया , वातरोग , अस्थि रोग और बलोदर रोग उत्पन्न होते हैं ।
- अधिक कार्य करना पड़ता है , जिससे गठिया , वातरोग , अस्थि रोग और बलोदर रोग उत्पन्न होते हैं ।
- गला , पेट, आंखों में तकलीफ, रक्त विकार, कान का दर्द, चर्मरोग, वातरोग या शीत ज्वर पीड़ा का भय बना रहता है।
- गला , पेट, आंखों में तकलीफ, रक्त विकार, कान का दर्द, चर्मरोग, वातरोग या शीत ज्वर पीड़ा का भय बना रहता है।
- डनी , कुष्ठ ( कोढ़ ) , ब्लड प्रेशर , पागलपन , मिर्गी की बीमारी , वातरोग और त्वचा रोग प्रमुख हैं।
- डनी , कुष्ठ ( कोढ़ ) , ब्लड प्रेशर , पागलपन , मिर्गी की बीमारी , वातरोग और त्वचा रोग प्रमुख हैं।
- उपयोग : आयुर्वेद ने अश्वगन्धा का उपयोग वीर्यवद्धर्क, मांसवर्द्धक, स्तन्यवर्द्धक, गर्भधारण में सहायक, वातरोग नाशक, शूल नाशक तथा यौनशक्ति वर्द्धक माना है।
- मात्रा 1-2 ग्राम तक लें यह श्वांसयुक्त खांसी , कफ, वातरोग, हाथ-पैर का दर्द, उदर रोग और लकवे को भी दूर करता है।