वासुकि नाग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसके बाद देवताओं ने बलि को नेता मानकर वासुकि नाग को रस्सी और मंदराचल को मथानी बनाकर समुद्र-मंथन शुरू किया परन्तु मंथन शुरू होने पर मंदराचल ही समुद्र में डूबने लगा।
- समुद्र-मंथन का कार्य संपन्न हो जाय , एतदर्थ श्रीभगवान् शक्ति-संवर्द्धन के लिए असुरों में असुर रूप से , देवताओं में देवरूप से और वासुकि नाग में निद्रा रूप से प्रविष्ट हो गये।
- मसलन , संसार समुद्र हैं , इसमें मंदराचल पर्वत की तरह मन को स्थिर करने के लिए कछुए रूपी भगवान की भक्ति का सहारे वासुकि नाग के प्रेम रूपी सूत्र से जीवन का मंथन करें।
- सूर्य । वासुकि नाग । चन्द्र । तक्षक नाग । मंगल । कर्कोटक । बुध । पद्म । गुरु । महापद्म नाग । शुक्र । शंख नाग । शनि । कुलिक । राहु को माना गया है ।
- यशोदा- ‘ वह भगवान है , ' एक बार देवता और दैत्यों में लड़ाई हुई असुरों को मिहित करने के लिए भगवान ने क्षीर सागर को मथा , मंदराचल की रई बनी , वासुकि नाग की रस्सी .
- यशोदा- ‘ वह भगवान है , ' एक बार देवता और दैत्यों में लड़ाई हुई असुरों को मिहित करने के लिए भगवान ने क्षीर सागर को मथा , मंदराचल की रई बनी , वासुकि नाग की रस्सी .
- उसकी राजधानी भद्रवाह क्षेत्र में थी . वासुकि नाग कीवंश परम्परा में नागों के आठ कुल स्थापित हुए जिन के नाम लोक-~ साहित्य में इसप्रकार हैं-सौंफू नाग, दौद्धिया नाग, कालीनाग, शेष नाग, तखतू नाग, धूमलनाग, फाहल नाग तथा काना नाग.
- उसकी राजधानी भद्रवाह क्षेत्र में थी . वासुकि नाग कीवंश परम्परा में नागों के आठ कुल स्थापित हुए जिन के नाम लोक-~ साहित्य में इसप्रकार हैं-सौंफू नाग, दौद्धिया नाग, कालीनाग, शेष नाग, तखतू नाग, धूमलनाग, फाहल नाग तथा काना नाग.
- तदुपरांत ओंकार को चाबुक , ब्रह्मा को सारथी, मंदराचल को गांडीव, वासुकि नाग को प्रत्यंचा, विष्णु को उत्तम बाण, अग्नि को बाण का फल, वायु को उसके पंख तथा वैवस्वत यम को उसकी पूंछ बनाकर मेरूपर्वत को प्रधान ध्वजा का स्थान दिया।
- तदुपरांत ओंकार को चाबुक , ब्रह्मा को सारथी , मंदराचल को गांडीव , वासुकि नाग को प्रत्यंचा , विष्णु को उत्तम बाण , अग्नि को बाण का फल , वायु को उसके पंख तथा वैवस्वत यम को उसकी पूंछ बनाकर मेरूपर्वत को प्रधान ध्वजा का स्थान दिया।