विकारयुक्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अनुवांशिक से जुड़े अध्ययन मेटाएनालिसिस ने बहुत ही गंभीर और ठोस उदाहरण गुण-सूत्रीय क्षेत्र में शंकाओं के बढ़ने पर प्रस्तुत किया है , जो प्रत्यक्ष रूप से विकारयुक्त सिज़ोफ्रेनिया 1 (DISC1) जीन प्रोटीन से संपर्क करता है, जो हाल ही में जिंक पिफंगर प्रोटीन 804ए में शामिल है.
- ऐसा इसलिए हो पाता है कि गर्भधारण के एक पखवारे के बाद से ही बच्चे के जींस की स्क्रीनिंग शुरू हो जाती है और समग्र रूप से उनके प्रत्येक विकारयुक्त जीन का विश्लेषण किया जाता है अगर विकारग्रस्त जीन का सुधार संभव हुआ तो ठीक वर्ना उसे जन्म देने की अनुमति नहीं दी जाती .
- शारीरिक संरचना से संबंधित कारणों में क्रोमोसोम का असामान्यता होना , जैसे कि क्लिनफिल्टर्स सिंड्रोम, जिसमें एक एक्स क्रोमोसोम अतिरिक्त रूप में पाया जाता है, वृषण के नीचे अंडकोष की थैली में न उतरना, शुक्राणुओं का निर्बल तथा गति शक्ति से हीन होना, शुक्र धातु का विकारयुक्त व पुष्ट न होना, शुक्रवाहिनी नली का न होना, गलसुआ रोग से भी शुक्राणुओं में कमी आती है।
- मैं फिर से सारे विद्वानों से निवेदन करता हूँ कृप्या इन शंकाओं का जल्द से जल्द समाधान करें अन्यथा सत्य को स्वीकार करें की प्रत्येक धार्मिक किताबों में बहुत सी बातें गलत , अप्रासंगिक , विकारयुक्त , बकवास एवं मनुष्य की उन्नति में बाधक हैं और ये कुरीतियाँ हैं जिन्हें की जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए क्योंकि इसमे हमारा ही भला है .
- मैं फिर से सारे विद्वानों से निवेदन करता हूँ कृप्या इन शंकाओं का जल्द से जल्द समाधान करें अन्यथा सत्य को स्वीकार करें की प्रत्येक धार्मिक किताबों में बहुत सी बातें गलत , अप्रासंगिक , विकारयुक्त , बकवास एवं मनुष्य की उन्नति में बाधक हैं और ये कुरीतियाँ हैं जिन्हें की जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए क्योंकि इसमे हमारा ही भला है .
- शारीरिक संरचना से संबंधित कारणों में क्रोमोसोम का असामान्यता होना , जैसे कि क्लिनफिल्टर्स सिंड्रोम , जिसमें एक एक्स क्रोमोसोम अतिरिक्त रूप में पाया जाता है , वृषण के नीचे अंडकोष की थैली में न उतरना , शुक्राणुओं का निर्बल तथा गति शक्ति से हीन होना , शुक्र धातु का विकारयुक्त व पुष्ट न होना , शुक्रवाहिनी नली का न होना , गलसुआ रोग से भी शुक्राणुओं में कमी आती है।
- -षड्दर्शनसमुच्चय- पृ 0 458 ” style = color : blue > * / balloon > , चावल , यव , द्राक्षा , महुआ , सेव आदि पदार्थ पानी आदि के साथ कुछ दिन विशेष-विधि से रखने के बाद विकृत हो कर मद्य में परिवर्तित हो जाते हैं तथा अचेतन होने पर भी मादकता शक्ति को उत्पन्न कर देते हैं ठीक उसी प्रकार शरीर रूप में विकारयुक्त भूत-समूह भी चैतन्य का उत्पन्न करते हैं।
- मैंने अपने एक साईंस फिक्शन में भविष्य के एक ऐसे समाज का खाका खींचा है जो अपराध मुक्त है -मतलब वहां जीरो अपराध हैं . ऐसा इसलिए हो पाता है कि गर्भधारण के एक पखवारे के बाद से ही बच्चे के जींस की स्क्रीनिंग शुरू हो जाती है और समग्र रूप से उनके प्रत्येक विकारयुक्त जीन का विश्लेषण किया जाता है अगर विकारग्रस्त जीन का सुधार संभव हुआ तो ठीक वर्ना उसे जन्म देने की अनुमति नहीं दी जाती .
- साधना , ध्यान , तप , सुमिरन , योग एवं अन्य सभीं ऐसे माध्यम हैं जिनसे प्रकृति निर्मित विकारयुक्त मनुष्य अपनें को निर्मल करता रहता रहता है और जब उसकी निर्मलता पूर्ण होती है तब वह स्वयं प्रभु जैसा बन जाता है और निर्वाण प्राप्त करता है / गीता श्लोक - 5.11 में प्रभु कहते हैं , हे अर्जुन ! कर्म योगी अपनें तन , मन एवं बुद्धि से जो भी करता है वह उसे निर्मल बनाता रहता है /