विनायक चतुर्थी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विनायक चतुर्थी का व्रत या उत्सव सिंहस्थ सूर्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी और हस्त नक्षत्र के योग आदि के बुधवार में पड़े तो इसका विशेष महत्व माना जाता है।
- नारद जयंती ( 7 मई) · कूर्मावतार जयंती (5 मई) · नृसिंह जयंती (4 मई) · शंकराचार्य जयंती (26 अप्रॅल) · विनायक चतुर्थी (25 अप्रॅल) · अक्षय तृतीया (24 अप्रॅल) ·
- वरद विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजा करने वाले लोगों को प्रसन्न मन से पवित्र होकर पूजन की सामग्रियों को एकत्रित करके मंत्रों से सारी सामग्रियों को भगवान के ऊपर चढाना चाहिए।
- लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व पौष मास की शुक्ल चतुर्थी विनायक चतुर्थी के दिन किसी भक्त ने पूजन के बिना किसी उद्धेश्य के जय सिद्धि विनायक कहते हुए अपना हाथ जमीन पर दे मारा , तत्क्षण भगवान सिद्ध विनायक की मूर्ति उस स्थान पर प्रकट हो गई।
- 7 अक्टूबर ( सोमवार ) को सिंदूर तृतीया , 8 अक्टूबर ( मंगलवार ) को अंगारकी विनायक चतुर्थी व्रत के साथ श्रीगणेश अर्चना , 9 अक्टूबर ( बुधवार ) को उपांग ललिता पंचमी व्रत , 10 अक्टूबर ( गुरुवार ) को स्कंद षष्ठी व्रत एवं कुमार कार्तिकेय ( स्कंद ) पूजा , 11 अक्टूबर ( शुक्रवार ) को श्रीदुर्गा महासप्तमी व्रत एवं अ र्द्धरात्रि में महानिशा पूजा होगी .
- शुक्ल द्वितीया को किया जाने वाला व्रत औदुंबर व्रत , तृतीया को गौरीव्रत , चतुर्थी को दूर्वा गणपति व्रत ( इसे विनायक चतुर्थी भी कहते हैं ) , पंचमी को नाग पंचमी व्रत ( सौराष्ट्र में नागपंचमी श्रावण कृष्ण पक्ष में संपादित होती है ) , षष्ठी को सूपौदन व्रत , सप्तमी को शीतलादेवी व्रत , अष्टमी और चैदस को देवी का व्रत , नौवीं को नक्तव्रत , दशमी को आशा व्रत और द्वादशी को किया जाने वाला व्रत श्रीधर व्रत कहलाता है।