विमोह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अर्थ- हे मनुष्य और देवों से पूजनीय , हे समस्त दोषों से मुक्त होने के कारण निर्मल भाव वाले, हे अनंत मुनीश्वरों से पूज्य, हे विकार रहित, हे सर्वदा उदय स्वरुप, हे समस्त संसार के महा स्वामिन्, हे विमोह, हे परम पवित्र सिद्धों के समूह (हम पर) प्रसन्नता धारण कीजिए |7|
- पर्यटन से जुड़े सवालों को लेकर तहलका ने जब वर्तमान पर्यटन मंत्री अमृता रावत से संपर्क करने की कोशिश की तो बताया गया कि वे ‘आउट ऑफ स्टेशन ' हैं. इस बार की आपदा ने तो प्रदेश के प्रति पर्यटकों के विमोह के लिए सरकारी उदासीनता का बड़ा प्रमाण सामने रखा है.
- पर्यटन से जुड़े सवालों को लेकर तहलका ने जब वर्तमान पर्यटन मंत्री अमृता रावत से संपर्क करने की कोशिश की तो बताया गया कि वे‘ आउट ऑफ स्टेशन’ हैं . </p>< p>इस बार की आपदा ने तो प्रदेश के प्रति पर्यटकों के विमोह के लिए सरकारी उदासीनता का बड़ा प्रमाण सामने रखा है.
- आत्मनिर्वासन किसी व्यक्ति के जीवन में एक बड़ी त्रासदी है . स्वयं से विमोह ,जीवन से विराग ,संवादहीनता और भी न जाने कितने दुःख झेलने के बाद ऐसे स्थिति आती होगी .ऐसे में व्यक्ति अपनी छोटी सी दुनिया को एक कैदखाने में बदल लेता है .अपने ही घर की दीवारें उसके लिए जेल की दीवारें ...
- कभी कभी आक्रामक और गुस्सेल भी . जो कुछ सीखा था उसे भी एक दिन अचानक भूलने लगतें हैं और फिर यह सिलसिला थमता नहीं है ज़ारी रहता है यदि फ़ौरन इसकी पड़ताल के बाद इलाज़ शुरू न हो पोजिटिव इंटर -वेंशन न हो तो बढ़ता ही चला जाता है आत्म विमोह दायरे का विकार .
- होने से वास्तविक शांति को प्राप्त करने वाले हे शान्त , अंश कल्पना से रहित होने के कारण हे निरंश, शारीरिक मानसिक रोगों से रहित हे निरामय, मरणादि भयों से रहित होने के कारण हे निर्भय, हे निर्मल आत्मा, निर्मल ज्ञान के ऊत्तमधाम, मोहरहित होने से विमोह ऐसे परम सिद्धों के समूह (हम पर) प्रसन्न होइये |1|
- उम्मीद की जाती है यही तरकीब न्यूरोन प्रत्यारोप एक दिन रीढ़ रज्जू की चोट , spinal cord injury , Autism , Epilepsy , Parkinson ' s और Hatington ' s disease का समाधान प्रस्तुत करेगी गौर तलब है आज की तारीख में आत्म विमोह ( ऑटिज्म ) , पार्किन्संज़ और हटिंगटन सिंड्रोम ला इलाज़ ही बने हुए हैं ..
- नही मित्रों , ज्ञान जी पहले ही अपनी एक पोस्ट में इस मुद्दे पर खबरदार कर चुके हैं - यहाँ वे पूरी तरह अफसर हैं ! काश मैं वह पोस्ट ( क्या कोई बंधु बांधवी लिंक दें सकेंगे ? ) पहले ही पढ़ चुका होता तो अपने नए नए ब्लागरी के दिनों में ऐसी ही एक फरियाद ज्ञान जी से न करता जो मैं अनिर्णय और विमोह की स्थिति में कर बैठा था और ज्ञान जी ने अपनी वह धांसूं पोस्ट मुझे पढ़ा दी थी .